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गोरखपुर

EXCLUSIVE बीआरडी मेडिकल काॅलेज के डा. कफिल खान पर रेप का लगा था झूठा आरोप

पुलिस ने जांच के बाद आख्या रिपोर्ट में रेप के आरोप को मनगढ़ंत बताया था

गोरखपुरAug 14, 2017 / 01:23 pm

Awesh Tiwary

wrong allegation of brd medical college doctor

डाक्टर कफिल पर लगा रेप का आरोप झूठा था

गोरखपुर. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हालात बिगड़ने पर सिलेंडरों की कथित व्यवस्था कर मीडिया में तेजी से चर्चा में आये डा. कफिल को रविवार की शाम जैसे ही सरकार ने पद से हटया। तो उनपर कई आरोप प्रत्यारोप भी लगने लगे। पहले तो बच्चों की जान बचाने का श्रेय सोशल मीडिया में कफिल को खूब मिला लेकिन बाद में डॉ. कफिल पर रेप सहित कई आरोप लगे। जिसके बाद बीआरडी का मामला एक अलग मोड़ पर ही पहुंचने लगा।
कफिल पर लगे रेप के आरोप को पुलिस ने असत्य बताया था

5 मार्च 2015 को एक महिला के साथ क्लीनिक पर दुष्कर्म करने का आरोप भी डा. कफिल पर लग रहा। जिसे लेकर सोशल मीडिया में कफिल के खिलाफ सक्रियता बढ़ गई। पर पत्रिका के पास उप्लब्ध आख्या की रिपोर्ट में पुलिस ने इस मामले मे असत्य बताया था। गोरखपुर जिले के कैंट थाना क्षेत्र पुलिस की मामले पर जांच के बाद जो रिपोर्ट दी गई उसमें बताया कि अवेदिका द्वारा डा. कफिल अहमद और कासिफ जमील पर लगाया गया आरोप निराधार और असत्य पाया गया। रिपोर्ट में पुलिस ने यब भी कहा है कि जांच में ऐसा प्रतीत होता है कि महिला ने किसी अन्य व्यक्ति के चढ़ाने बढ़ाने में आकर साजिश के तहत मनगढ़ंत कहानी बनाकर प्रार्थनापत्र दिया है जो असत्य और बेबुनियाद है।
प्राइवेट प्रैक्टिस की वजह से सरकार ने हटाया था

सोशल मीडिया और कुछ न्यूज वेबसाइट्स पर यह आरोप लगाए गए थे डॉ कफील अहमद 10 दिसंबर 2016 को नियमित हुए उसके पहले कांट्रैक्ट पर थे कांट्रैक्ट पर होने वाले डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रैक्टिस से रोक का कोई प्रावधान नही है। हांलाकि नियमित होने के बाद भी वो प्राइवेट प्रैक्टिस करते रहे। हालांकि जो बातें सोशल मीडिया में सामने आ रही है उसमें उनपर ये भी आरोप लगते रहे कि दवाओं की खरीद में कई बार अनियमितता के मामले में भी डा. कफिल पर संदेह रहा है। जांच से बचने के लिए जब तब डॉ. कफिल बीमारी का बहाना बनाकर गायब हो जाते हैं। जबकि वे निजी हास्पिटल में इलाज करते मिलते हैं। मेडिकल कॉलेज में अगर बैठते भी हैं तो अपने निजी हास्पिटल का मरीजों के बीच प्रमोशन करते हैं। पर बड़ी बात ये है कि अगर ये सब सरकार या वहां के अधिकारियों को पता था तो कफिल पर पहले कार्रवाई क्यों नहीं की गई। हालांकि जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि सही क्या है। पर कहीं न कहीं कफिल पर लग रहे अभी तक के आरोप निराधार ही साबित हो रहे हैं।

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