इस दौरान भी गीता पंडित ने घर-घर जाकर चुनाव प्रचार किया था। हालांकि 2012 के चुनाव से पहले वे सक्रिय नही थी। लेकिन गीता पंडित ने उस दौरान दहलीज से बाहर निकलकर पार्टी और खुद के लिए वोट मांगे। वहीं दादरी में विजय पंडित की अच्छी छवि मानी जाती थी। ये युवाओं के दिलों में बसते थे। चुनाव के दौरान युवा वर्ग इक्टठा हुआ और प्रचार में लग गया। यह चुनाव पूरी तरह बीजेपी मय हो गया। हालांकि इस सीट पर उस दौरान बीएसपी और समाजवादी पार्टी से कडी टक्कर मिली थी, लेकिन बाद में जीत दर्ज की। यह जीत विजय पंडित की मानी गई। विजय पंडित के सिर पर जीत का सहरा बांधा गया था।
पति की मौत के बाद में गीता पंडित के लिए बीजेपी के सीनियर लीडर भी हमदर्द बनकर उभरे। बीजेेपी के शीर्ष नेताओं ने विजय की मौत के बाद में हर संभव मदद की। इस बार भी चुनाव में टिकट दिलाना भी केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा की वजह मानी गई। हालांकि महेश शर्मा पर व्यापारियों ने अभद्रता करने का आरोप भी लगाया था। बाद में व्यापारी नेता मनोज गोयल समाजवादी पार्टी के साथ हो गए। इंटरमीडिएट पास गीता पंडित पति की हत्या के बाद राजनीति में सक्रिय हुर्इ। दादरी में विकास कराने के लिए गीता पंडित अपनी दोबारा जीत मान रही है। गीता पंडित ने बताया कि उन्होंने दादरी में बिजली, पानी, सड़क समेत विकास कार्य कराए है। जिसकी वजह से उन्हें जीत मिली है।