देश का भविष्य यानि मासूम बच्चे और उनकी जननी स्वस्थ रहे, इसके लिए सरकार ने आईसीडीएस अम्ब्रेला कार्यक्रम के तहत 0-5 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और 11 से 14 वर्ष की स्कूल जाने वाली बालिकाओं को आंगनबाड़ी कार्यक्रम के माध्यम से पुष्टाहार दिया जाता है। इसके लिए लाभ लेने वालों का आंगनबाड़ी केंद्र में पंजीकरण जरुरी होता है। आईसीडीएस कार्यक्रम के तहत वर्ष में दो बार सर्वे कर लाभार्थियों की सही संख्या का पता लगाया जाता है।
इस वर्ष अक्टूबर की बजाय सितम्बर में सर्वे कराया गया। सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। सर्वे के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर जिले में स्थित 1108 आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुल 47,888 बच्चे पंजीकृत हैं। इनमे से 17,888 बच्चे ऐसे हैं, जिन्हे सिर्फ कागजों में ही पुष्टाहार मिलता है। इनका पंजीकरण तो है, लेकिन ये भौतिक रूप से मौजूद नहीं हैं। यानि 17888 बच्चों के नाम पर मिल रहे पुष्टाहार से विभागीय अधिकारी और कर्मचारी सेहतमंद हो रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद अधिकारी मामले की जांच की बात कह कर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे है
सर्वे रिपोर्ट आने के बाद सीडीओ अनिल कुमार सिंह ने इस बात को माना कि गड़बड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि वास्तव में जितने बच्चे पंजीकृत होते हैं, उसका 60 फीसदी ही पुष्टाहार मिलता है। एक अनुमान के मुताबिक एक बच्चे के पुष्टाहार पर 5 रुपये खर्च किये जाते हैं। सर्वे में 17,888 बच्चों का पंजीकरण फर्जी पाया गया है। इस हिसाब से 26 लाख 83 हजार 200 रुपये प्रतिमाह की गड़बड़ी सामने आई है। अब ये जांच का विषय है कि यह घपला कब से चला आ रहा है। सीडीओ कहते हैं कि इस बात की जांच की जा रही है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। उन्होंने का कहा कि जो भी जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यहाँ तक कहा कि जिम्मेदार लोगों से पाई पाई की रिकवरी की जाएगी।