बशर अल-असद का एक बार दोबारा से अगले सात वर्षों तक के लिए राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया है। इस बीच पश्चिम देशों ने सीरिया के चुनाव को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह न तो स्वतंत्र तरीके से हुआ और न ही निष्पक्ष है।
जीत को पहले से ही तय मान रहे थे असद विशेषज्ञों की माने तो असद अपनी जीत को पहले से ही तय मान रहे थे। इसका सबसे बड़ा कारण, यहां पर रह रहे हजारों विस्थापितों ने अपने मत का प्रयोग नहीं किया। दस साल से चल रहे संघर्ष से तबाह हुए क्षेत्र में मतदान नहीं हो सका। विद्रोहियों और कुर्द नेतृत्व वाले सैनिकों द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में रह रहे लोग मतदान से दूर रहे। वहीं 5 मिलियन से अधिक शरणार्थी,जिन्होंने पड़ोसी देशों में शरण ले रखी है। उन्होंने बड़े पैमाने पर अपना मत डालने से परहेज किया है।
चुनाव को पूरी तरह से खारिज किया गौरतलब है कि सीरियाई सरकार के नियंत्रण मेें आने वाले क्षेत्रों में लोग बुधवार को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में वोट करने पहुंचे थे। हालांकि विपक्षी दलों और पश्चिमी देशों ने इस चुनाव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। पांच दशक से इस पद पर असद के परिवार के सदस्य काबिज हैं। उनके पहले पिता हाफेज का शासन था। अदस सन 2000 से सीरिया के राष्ट्रपति पद पर बने हुए हैं।
असद के सामने दो और उम्मीदवार राष्ट्रपति पद के लिए इस बार दो और उम्मीदवार उनके सामने थे। इनके नाम हैं अब्दुल्ला सालौम अब्दुल्ला और महमूद अहमद मैरी। सुबह सात बजे से हजारों की संख्या में लोग दश्मिक के मतदान केंद्रों पर वोट डालने पहुंचे। यहां की सड़कों पर असद के समर्थन में पोस्टर और बैनर नजर आए। इस बीच अन्य उम्मीदवारों का एकाध पोस्टर भी दिख जाता है।
मान्यता नहीं देंगे : बाइडेन अमरीका के राष्ट्रपति बाइडेन का कहना है कि वह सीरिया में चुनाव के परिणाम को तब तक मान्यता नहीं देने वाले हैं जब तक संयुक्त राष्ट्र और सीरियाई समाज के सभी प्रतिनिधियों की निगरानी में निष्पक्ष मतदान नहीं हो जाता।