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ईरानी संसद में अमरीकी प्रतिबंध पर प्रस्ताव पारित

अमरीकी वित्त विभाग ने कहा कि ईरान द्वारा ‘लगातार भड़काऊ कदम उठाने,’ जिसमें गुरुवार का रॉकेट प्रक्षेपण भी शामिल है, से नाराज अमरीका ने उस पर नए बैलिस्टिक मिसाइल प्रतिबंध लगा दिए हैं। 

Jul 31, 2017 / 01:52 pm

Iftekhar

irani parliament

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तेहरान: ईरान की मजलिस (संसद) की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेश नीति आयोग ने शनिवार को देश पर लगे अमरीकी प्रतिबंधों के जवाब में एक सामान्य रूपरेखा वाले प्रस्ताव को पारित किया। समाचार एजेंसी ने प्रेस टीवी के हवाले से कहा कि अगर प्रस्ताव को मजलिस की खुली बैठक में मंजूरी मिल जाने से यह क्षेत्र में अमरीका के आतंकवादी व दुस्साहस का मुकाबला कर सकेगा। 

आयोग की बैठक में शामिल हुए ईरानी उप विदेश मंत्री
आयोग की बैठक में शामिल हुए ईरानी उप विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने कहा कि इसमें ईरान के सशस्त्र व सुरक्षा बलों और उन ईरानियों को समर्थन देने की परिकल्पना की गई है, जो अमरीकी प्रतिबंध से प्रभावित होंगे। अराक्ची ने प्रस्ताव को अमरीका के ‘शत्रुतापूर्ण व दुर्भावनापूर्ण’ नीतियों के जवाब में उचित उपाय बताया। 

छह देशों के बीच जुलाई 2015 में हुआ समझौता
अराक्ची ने कहा कि अमरीकी प्रतिबंध महत्वपूर्ण परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को प्रभावित कर सकता है, जो जेसीपीओए के रूप में भी जाना जाता है, जो ईरान और दुनिया की छह महाशक्तियों के बीच जुलाई 2015 में साइन हुआ था। अमरीकी वित्त विभाग ने कहा कि ईरान द्वारा ‘लगातार भड़काऊ कदम उठाने,’ जिसमें गुरुवार का रॉकेट प्रक्षेपण भी शामिल है, से नाराज अमरीका ने उस पर नए बैलिस्टिक मिसाइल प्रतिबंध लगा दिए हैं। 

ईरान ने लॉन्च किया स्पेस व्हीकल
अमरीकी बयान के अनुसार, ईरान ने गुरुवार को एक स्पेस व्हिकल लांच किया, जो ‘अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल’ से मिलती-जुलती प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करता है और यह ईरान का एक धमकाने वाला कदम है।

मुस्लिमों से अमरीका, इजरायल के ‘बुरे कामों’ के खिलाफ खड़े होने का आग्रह
ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने रविवार को दुनिया भर के मुस्लिमों से करीब आ रहे वार्षिक हज के दौरान अमरीका और इजरायल के ‘बुरे कामों’ के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया। समाचार एजेंसी के मुताबिक, खामनेई ने कहा कि इस्लामी दुनिया से जुड़े विषयों में से एक अल कुद्स (जेरुशलम) का मुद्दा और एक अल-अक्सा मस्जिद का है, जो कि आज केंद्र में है।

मक्का-मदीना से बेहतर कोई स्थान नहीं-खोमेनी
खोमेनी ने कहा कि मुस्लिमों की राय व फिलिस्तीन व अक्सा मस्जिद के समर्थन में आवाज उठाने के लिए सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का व मदीना से बेहतर कोई और स्थान नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि अमरीका का मुस्लिम देशों के मामलों में दखल और इसके द्वारा आतंकी समूहों को बनाना इन देशों के खिलाफ मुस्लिमों के खड़े होने का दूसरा महत्वपूर्ण कारण है। हज की रस्में अगस्त के अंत में सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का में होंगी।

ईरान से 86,500 लोग जाएंगे हज के लिए
खोमेनी ने कहा कि अमरीकी सरकार आतंकवादी समूहों से बड़ी खलनायक व दुर्भावना से भरी है। शत्रुओं द्वारा रची गई विभाजनकारी साजिश को मुस्लिमों को समझना चाहिए। ईरान ने बीते साल हज समारोह के लिए यात्री भेजने से इनकार किया था। ईरान ने यह फैसला 2015 के हज में भगदड़ में तीर्थयात्रियों के मारे जाने के बाद सुरक्षा की चिंता के मद्देनजर लिया था। 2015 में भगदड़ में मरने वालों में ईरान के 450 लोग शामिल थे। ईरान व सऊदी अरब के बीच मामले को सुलझाए जाने के बाद ईरान ने कम से कम 86,500 तीर्थयात्रियों को वार्षिक हज समारोह में इस साल भेजने का निर्णय लिया है।

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