जहां एक ओर पाकिस्तान और चीन ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है वहीं श्रीलंका ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया है। इसी कड़ी में संयुक्त अरब अमीरात ने भी एक बयान देते हुए मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
भारत में UAE के राजदूत डॉ. अहमद अल बन्ना ( Dr. Ahmad Al Banna ) ने कहा कि भारतीय सरकार ने जम्मू और कश्मीर राज्य से संबंधित भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ उपबंधों को हटाया है।
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उन्होंने कहा कि हमने भारतीय संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक की शुरुआत पर भी ध्यान दिया, जिसका उद्देश्य अनुच्छेद 370 को खत्म कर लद्दाख क्षेत्र और जम्मू-कश्मीर राज्य को भारत के दो नए केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में बनाना है।
बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करते हुए केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है।
जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है: बन्ना
डॉ. अहमद अल बन्ना ने टिप्पणी की कि उनकी समझ से राज्यों के पुनर्गठन स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक अनोखी घटना नहीं है और इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय असमानता को कम करना और दक्षता में सुधार करना था।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर राज्य से संबंधित इस नवीनतम निर्णय को भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित आंतरिक मामले के रूप में देखा है।
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UAE के राजदूत ने उम्मीद जताई कि भारत सरकार के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर राज्य के लोगों के साथ-साथ लद्दाख के लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति और कल्याण में सुधार होगा।
उन्होंने कहा ‘हम उम्मीद करते हैं कि यह परिवर्तन सामाजिक न्याय और सुरक्षा और स्थानीय शासन में लोगों के विश्वास में सुधार करेंगे और आगे स्थिरता और शांति को प्रोत्साहित करेंगे’।
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