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गुना

कसानों से वसूल रहे  50 से 100 रुपए

भावांतर योजना के तहत खरीफ फसलों के पंजीयन कराने किसानों को चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सोसायटी पर पंजीयन न होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों से पंजीयन के नाम पर 50 से 100 रुपए लिए जा रहे हैं, तब पंजीयन किया जाता है।

गुनाSep 08, 2018 / 09:29 pm

brajesh tiwari

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बमोरी. भावांतर योजना के तहत खरीफ फसलों के पंजीयन कराने किसानों को चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सोसायटी पर पंजीयन न होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बमोरी. भावांतर योजना के तहत खरीफ फसलों के पंजीयन कराने किसानों को चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सोसायटी पर पंजीयन न होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों से पंजीयन के नाम पर 50 से 100 रुपए लिए जा रहे हैं, तब पंजीयन किया जाता है। किसानों को झागर पंजीयन कराने जाना पड़ता है और पंजीयन कराने रुपए लिया जा रहे हैं। यहां पर किसानों को रुपए देकर मजबूरी में पंजीयन कराना पड़ रहा है। एक केंद्र पुरानी गल् ा मंडी में है, यहां भी किसानों से रुपए लिए जा रहे हैं। इसके अलावा कई गड़बड़ी भी सामने आ रही हैं। सागरसिंगा गांव निवासी निवासी गिर्राज किरार पुत्र हरगोविंद का पंजीयन किसी दूसरे किसान के नाम पर किया गया, जबकि उसने पंजीयन के दस्तावेज दिए ही नहीं। उधर, खाद्य विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
पगारा का केंद्र पांच दिन से बंद
उधर, पगारा का पंजीयन केंद्र पिछले पांच दिनों से बंद पड़ा है। किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पगारा के किसान रामवीर शर्मा, सुरेश शर्मा, शिवराम सिंह रघुवंशी आदि ने बताया, पंजीयन कराने की २० सितंबर अंतिम तिथि बताई जा रही है, लेकिन यहां पर संचालित केंद्र पिछले ५ दिन से बंद है। इस वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि इन दिनों किसानों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
कई गांवों में बाढ़ से बह गर्इं फसलें
लगातार हो रही बारिश से जिले के सैकड़ों गांवों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं। हजारों हेक्टेयर भूमि की फसल बाढ़ के कारण नष्ट हो गई है। सबसे ज्यादा नुकसान नदी किनारे के गांवों में हुआ है जहां नदी किनारे व आसपास खेतों में बाढ़ का पानी निकलने से पूरी की पूरी फसल तबाह हो गई है। अशोकनगर, चंदेरी, ईसागढ़ व मुंगावली तहसील के कई गांव के खेतों का पानी निकलने से सोयाबीन उड़द की फसलें बह गईं।
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