लक्ष्मीनारायण मंदिर में महंत की गद्दी को लेकर गहराया विवाद, महंत पर लगे दुराचरण के आरोप
लक्ष्मीनारायण मंदिर में महंत की गद्दी को लेकर गहराया विवादमहंत पर लगे दुराचरण के आरोपपंचायती अखाड़ा आनंद ने बैजनाथपुरी को हटाकर दिवाकर पुरी को नियुक्त किया नया महंत
लक्ष्मीनारायण मंदिर में महंत की गद्दी को लेकर गहराया विवाद, महंत पर लगे दुराचरण के आरोप
गुना। शहर के लक्ष्मीगंज स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर में महंत की गद्दी को लेकर विवाद सामने आया है। स्थिति यह बनी कि कथित कदाचरण को लेकर पंचायती अखाड़ा आनंद ने यहां से महंत बैजनाथ पुरी को हटाकर नए महंत दिवाकर पुरी को व्यवस्था संचालन के लिए नियुक्त कर दिया है। जिसके बाद अब मंदिर में दो-दो महंत अपनी-अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं। नए नियुक्त महंत दिवाकरपुरी महाराज एवं अन्य सदस्यों ने मीडिया से चर्चा करते हुए पूर्व महंत को भूमाफिया बताया है। जिनके द्वारा अब नए महंत एवं पंचों को धमकी दी जा रही है। महंत पर दुकानदारों का पैसा लेकर भागने और एक महिला से नाजायज संबंध जैसे संगीन आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा ढाई साल पहले भी महंत पर दुकानदारों के पैसे लेकर भागने के भी आरोप लगे थे।
इस संबंध में नयनियुक्त महंत दिवाकरपुरी महाराज ने पंचायती अखाड़ा आनंद द्वारा लिखित पत्र को बताते हुए कहा कि जयस्तंभ चौराहे स्थित लक्ष्मीनारायण पंचायती अखाड़े का है। पहले यहां अखाड़े ने गोपालपुरी महाराज को सेवा के लिए नियुक्त किया था लेकिन 2010 के कुंभ के बाद वह गायब हो गए। इसके बाद अखाड़े ने हम पांच लोगों को व्यवस्था संचालन के लिए नियुक्त किया। हम सबने सहमति से बैजनाथ पुरी को यहां पूरा काम सौंप दिया। जिसके बाद कुछ समय तो यहां सब ठीक ठाक चला, लेकिन बाद में उनके दुराचार की सूचनाएं मिलने लगी। उनका व्यवहार और आचरण भी साधु परंपरा के अनुरूप नहीं है। एक महिला से भी उनका संबंध है। उन्होंने मंदिर के वर्षों प्राचीन पेड़ को कटवाकर दुकानदारों को नई दुकानें बनाने का लालच देकर लाखों रुपए ऐंठ लिए थे। नए महंत ने कहा कि उन्हें जान का डर है, क्योंकि वह भूमाफिया है। उन्होंने पुलिस से सुरक्षा की मांग की है।
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रातों रात कटवा दिया था पेड़
उल्लेखनीय है कि मंदिर की उक्त जमीन शासन की है। एक ट्रस्ट द्वारा इसे संचालित किया जाता है। मंदिर नजूल की जमीन पर बना हुआ है। मध्यप्रदेश पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के अनुसार मंदिर पर जो भी निर्माण कार्य होंगे, वह रजिस्ट्रार की अनुमति के बाद ही हो सकते हैं। तहसीलदार भी इस ट्रस्ट के सदस्य हैं। मंदिर पर अस्थायी दुकानें बनी हुईं थी। जिनका किराया ट्रस्ट को जाता था।
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विवाद की शुरूआत 2019 में
बताया जाता है कि पूरा विवाद वर्ष 2019 में शुरू हुआ। जब बैजनाथ पुरी ने मंदिर के बाहर बनी दुकानों को पक्का निर्माण करवाने के नाम पर व्यापारियों से मोटी रकम एडवांस में ले ली। लाखों रुपए बैजनाथ पुरी ने दुकानदारों से इक_े किए। पुजारी द्वारा यहां रातों-रात मंदिर में स्थित वर्षों पुराने पेड़ को कटवा दिया था। साथ ही मंदिर से लगी दुकानों को भी पुजारी बैजनाथ ने दुकानदारों को डरा-धमकाकर खाली करा लिया था।
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पुजारी को कई नोटिस जारी हो चुके हैं
जब इस मामले की शिकायत नगरपालिका व एसडीएम से की गई तो एसडीएम ने उक्त मामले में जांच के आदेश दिए। जिसके बाद कई नोटिस पुजारी को भेजे गए। तहसीलदार गुना द्वारा 2 नोटिस भेजे गए, एसडीएम के द्वारा भी पुजारी को दो बार उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजे गए, परन्तु पुजारी ने एक बार भी नोटिस का जवाब नहीं दिया गया और न ही अपना पक्ष रखने पहुंचे। प्रशासन की सख्त हिदायत के बाद भी पुजारी ने निर्माण कार्य शुरू करवा दिया। जिसे बाद में नपा और राजस्व अमले ने पहुंचकर रूकवा दिया। वहीं अवैध तरीके से हुए निर्माण को भी प्रशासन ने तोड़ दिया था।
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