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विकलांग प्रमाण पत्र बनवाना है तो जिला अस्पताल में दिन भर बैठना होगा

विकलांगों के लिए प्रमाण पत्र बनाने की जो व्यवस्था गुना जिला अस्पताल में है ऐसी व्यवस्था पड़ौसी जिला शिवपुरी सहित प्रदेश के अन्य जिलों में नहीं है। क्योंकि अस्पताल प्रबंधन ने विकलांग प्रमाण पत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया में सिर्फ स्टाफ की सुविधा का ध्यान रखा है ।

गुनाMar 10, 2019 / 02:38 pm

Narendra Kushwah

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विकलांग प्रमाण पत्र बनवाना है तो जिला अस्पताल में दिन भर बैठना होगा

गुना. जिला अस्पताल में विकलांगों के लिए प्रमाण पत्र बनवाना बेहद कष्टदायक साबित हो रहा है। क्योंकि उन्हें प्रमाण पत्र बनवाने सुबह से लेकर शाम तक ही अस्पताल में बैठना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अस्पताल प्रबंधन ने विकलांग प्रमाण पत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया में सिर्फ स्टाफ की सुविधा का ध्यान रखा है लेकिन दूरस्थ ग्रामीण अंचल से आने वाले विकलांगों की परेशानी का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा है। यही नहीं विकलांगों की इस परेशानी की ओर आज तक जिला प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों ने भी ध्यान नहीं दिया है। यहां बताना होगा कि विकलांगों के लिए प्रमाण पत्र बनाने की जो व्यवस्था गुना जिला अस्पताल में है ऐसी व्यवस्था पड़ौसी जिला शिवपुरी सहित प्रदेश के अन्य जिलों में नहीं है।

विकलांगों को इसलिए आ रही परेशानी
जिला अस्पताल प्रबंधन ने विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सप्ताह में एक दिन बुधवार निश्चित किया है। लेकिन इस दिन भी विकलांगों के लिए कोई विशेष सुविधाजनक व्यवस्था नहीं की गई है। विकलांगों को पहले फार्म भरने एक अलग कक्ष में लाइन लगाकर इंतजार करना पड़ता है तो वहीं शारीरिक परीक्षण कराने घिसटते हुए दूर स्थित अन्य कक्ष में जाना पड़ता है। यहां भी विकलांग की परेशानी खत्म नहीं होती है क्योंकि उसे यहां भी अन्य मरीजों के साथ लाइन में लगकर ही परीक्षण कराना होता है। ऊपर से उसे डॉक्टर की झुंझलाहट का भी सामना करना पड़ता है। इतनी परेशानी झेलने के बाद भी विकलांग प्रमाण पत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया समाप्त नहीं होती है। 

अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक विकलांग को सुबह मेडीकल परीक्षण कराने के पश्चात भी शाम को सिविल सर्जन के समक्ष उपस्थित होना जरूरी है, क्योंकि वे विकलांग को देखकर ही प्रमाण पत्र पर दस्तखत करेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि मेडीकल बोर्ड में शामिल विशेषज्ञ डॉक्टर ने जब विकलांग को देखकर उसकी विकलांगता का प्रकार व प्रतिशत लिख दिया है तो फिर उसे जांचने के लिए विकलांग को शाम तक रोका जाना कितना सही है।

ऐसे हो सकती है विकलांगों की परेशानी कम
मौजूदा व्यवस्था में विकलांगों को प्रमाण पत्र बनवाने में बहुत परेशानी आ रही है। इसे कम करने के लिए अस्पताल प्रबंधन को पहल करनी होगी। जिसके तहत अस्पताल में ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे विकलांगों के प्रमाण पत्र फार्म तथा मेडीकल परीक्षण एक ही स्थान पर हो जाए।

साथ ही विकलांग को शाम तक न रुकना पड़े इसके लिए सभी कागजी कार्रवाई तथा परीक्षण संबंधी प्रक्रियाएं दोपहर 2 बजे तक हो जानी चाहिए। इसका फायदा दूरस्थ गांव से आने वाले विकलांग को मिलेगा तथा वह सही समय पर अपने घर पहुंच जाएगा। इसके अलावा दूरस्थ गांव के विकलांगों को जिला मुख्यालय पर न आना पड़े इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर शिविर लगाकर प्रमाण पत्र बनाए जाएं।


विकलांगों की परेशानी उनकी जुबानी
मैं गुना बायपास स्थित राजविलास होटल के पास रहता हूं। घर से हॉस्पिटल तक ऑटो का किराया एक तरफ से 60 रुपए लगता है। अस्पताल में आकर पता चला कि प्रमाण पत्र बनवाने शाम 6 बजे तक रुकना पड़ेगा। लाइन में न लगना पड़े इसलिए सुबह जल्दी बिना खाना खाए आ गया। अब समझ नहीं आ रहा कि खाना खाने घर जाऊ या भूखे ही यहीं बैठा रहूं। क्योंकि घर वापस जाने और आने में 120 रुपए लगेंगे।
नानकराम बारेलाल, विकलांग

जिला अस्पताल में विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने की जो व्यवस्था है वह बहुत कष्टदायक है। जो शहर व जिले के दूरस्थ अंचल से आने वाले विकलांगों को बहुत परेशानी आती है। डॉक्टर का व्यवहार भी बहुत रुखा होता है।
बालकृष्ण लोधा, विकलांग

इनका कहना है
हां यह बात सही है कि अभी जो व्यवस्था है उसमें विकलांग को प्रमाण पत्र बनवाने में परेशानी आती है। लेकिन हम इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं। मौजूदा व्यवस्था के तहत विकलांग को शाम तक रुकना ही पड़ेगा।
डा एसपी जैन, सिविल सर्जन जिला अस्पताल गुना

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