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प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए जिले का किया नाम रोशन

‘गांधीजी अहिंसा के पुजारी लेकिन ग्रंथ कहते हं धर्म के लिए हिंसा भी श्रेष्ठगुना की शांभवी और ऋतंभरा ने भोपाल में आयोजित विवाद विवाद प्रतियोगिता में लहराया परचमप्रतियोगिता में 22 जिलों के 44 प्रतिनिधियों ने लिया भाग

गुनाOct 16, 2019 / 12:36 pm

Narendra Kushwah

गुना। स्थानीय निवासी शांभवी और ऋतंभरा ने भोपाल में आयोजित प्रांतीय वाद विवाद प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए पूरे प्रदेश में गुना का नाम रोशन किया है। गौरतलब है कि यह प्रतियोगिता मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति हिन्दी भवन भोपाल द्वारा बीते रोज आयोजित की गई। जिसमें कक्षा 10 वीं की छात्रा शांभवी और कक्षा 11 वीं की छात्रा ऋतंभरा ओझा ने भाग लिया था।


गांधीजी के सिद्धांतों का अनुकरण आवश्यक
स्थानीय संयोजक अनिरुद्ध सिंह सेंगर ने बताया कि वाद-विवाद प्रतियोगिता का विषय था जीवन की सार्थकता के लिए गांधीजी के सिद्धांतों का अनुकरण आवश्यक है। विषय के पक्ष में शांभवी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि गांधीजी के सिद्धांत वर्तमान समय में भी अनुकरणीय हैं। गांधीजी की रामराज्य की कल्पना वर्तमान में लागू की जा रही है। उनके द्वारा जो स्वच्छता का सिद्धांत है वह आज भी अनुकरणीय है।

कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर
वहीं विषय के विपक्ष में ऋतंभरा ओझा ने तीखे तेवर के साथ कहा कि जीवन की सार्थकता के लिए गांधीजी के सिद्धांत वर्तमान में अनुकरणीय नहीं है। गांधीजी जिस चरखा छाप व्यवस्था की बात करते हैं उससे 130 करोड़ देशवासियों को लंगोटी भी मुहैया नहीं हो सकती। ऋतंभरा ने मुखर होते हुए कहा कि-गांधीजी की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर था। वे कहते कुछ थे, करते कुछ थे। गांंधी जी ने हमेशा रेलों का विरोध किया और सबसे अधिक यात्रा उन्होंने रेलों में ही की।

'गांधीजी अहिंसा के पुजारी लेकिन ग्रंथ कहते हं धर्म के लिए हिंसा भी श्रेष्ठ


पिता नहीं बन पाए वे देश के राष्ट्रपिता बन गए
गांधीजी ने डाकतार विभाग का हमेशा विरोध किया और सबसे अधिक चिठ्ठियां उन्होंने ही लिखीं। गांधीजी जिन सिद्धांतों की बात करते थे, उनसे उनका बड़ा लड़का हीरालाल गांधी इतनी घृणा से भर गया कि उसने शराब पीना, मांस खाना शुरू कर दिया और अंत में हिन्दू धर्म छोड़कर उसने मुसलमान धर्म अपना लिया। आश्चर्य इस बात से है कि जो अपने बेटे के पिता नहीं बन पाए वे देश के राष्ट्रपिता बन गए।


अहिंसा को परम धर्म मानते थे
गांधीजी अहिंसा को परम धर्म मानते थे, जबकि हमारे ग्रंथ कहते हैं कि धर्म के लिए हिंसा भी श्रेष्ठ है। भोपाल में आयोजित इस प्रतियोगिता में 22 जिलों के 44 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। गुना के दोनों प्रतिभगियों ने अपनी प्रस्तुति से खूब वाह-वाही बटोरी। कार्यक्रम के निर्णायक मण्डल में मोटीवेटर स्पीकर विभांषु जोशी तथा मुख्य अतिथि अपर सचिव मनोज श्रीवास्तव मौजूद रहे।

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