मेटरनिटी विंग से मिली जानकारी के मुताबिक बीते तीन दिनों में तीन महिलाएं कोरोना संक्रमित निकल चुकी हैं। इन महिलाओं को जब यहां भर्ती कराया गया तब ही चिकित्सक ने इनकी कोरोना जांच कराने के लिए लिखा था। लेकिन कोरोना सैंपल कलेक्शन सेंटर के टेक्नीशियन यह कहते हुए सेंपल लेने से इंकार कर दिया कि उन्हें सीएमएचओ व कलेक्टर की ओर ऐसे आदेश नहीं हैं कि वह मेटरनिटी विंग में आकर सैंपल ले। इस पर मेटरनिटी विंग स्टाफ ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को जांच के लिए वहां नहीं लाया जा सकता है। तब भी वह नहीं मानें। इसके बाद खुद डॉक्टर को सिविल सर्जन से बात करनी पड़ी तब कहीं जाकर काफी देर बाद महिला का सैंपल हो सका। इसी तरह की लापरवाही अभी भी जारी है। यही वजह है कि शुक्रवार को एक महिला का ऑपरेशन डॉक्टर ने किया। इसके बाद जब महिला की जांच कराई तो वह पॉजिटिव निकली। जिसके बाद ऑपरेशन थियेटर सहित पूरे भर्ती वार्ड को सेनिटाइज कराया गया। यही नहीं वार्ड में भर्ती अन्य मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया। यह जानकारी सामने आने के बाद उक्त महिला के संपर्क में वाली सफाईकर्मियों सहित वार्ड में भर्ती महिलाएं व सहयोगी स्टाफ को संक्रमण के खतरे से डरा हुआ है।
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डॉक्टर को नहीं पता कहां करना है रैफर
शासन की गाइड लाइन है कि यदि किसी गंभीर मरीज को रैफर करना है तो उसे नजदीक सरकारी अस्पताल में रैफर किया जाए। जिसके तहत गुना जिला अस्पताल की मेटरनिटी विंग से यदि किसी गर्भवती महिला को रैफर करना है तो वे शिवपुरी मेडिकल कॉलेज रैफर करती हैं। यह व्यवस्था पिछले कुछ समय तक तो ठीक थी। लेकिन हाल ही में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बाद शिवपुरी जिला अस्पताल व वहां का मेडिकल कॉलेज अलग-अलग बिल्डिंग में संचालित रहे हैं। वहां वर्तमान में जो व्यवस्था लागू है उसके अनुसार गर्भवती महिलाओं की डिलेवरी या सीजर मेडिकल कॉलेज में बंद है। इसकी जानकरी गुना जिला अस्पताल प्रबंधन को नहीं है। यही वजह है कि हाल ही में एक गर्भवती महिला को शिवपुरी मेडिकल कॉलेज लिखकर रैफर कर दिया। जिसे 10 दिन तक कोविड वार्ड में संक्रमित मरीजों के साथ भर्ती रखा गया। जब महिला के केस के संबंध में पूरी जानकारी मिली तो उसे आनन फानन में शिवपुरी जिला अस्पताल भेजा गया। यह जानकारी का अभाव गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।