जानकारी के मुताबिक प्रशासन ने शनिवार की देर शाम मीडिया में प्रकाशन के लिए एक प्रेस नोट जारी कर 28 वितरण केंद्रों के नाम सार्वजनिक किए थे। जिनमें राज्य विपणन संघ का कोई भी वितरण केंद्र शामिल नहीं था। प्रशासन ने जिन 28 वितरण केंद्रों के नाम दिए थे उनमे प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां थी। यह जानकारी एक दिन पहले यानि कि शुक्रवार को खाद लेने आए किसानों को वितरण केंद्र पर नहीं दी गई और न ही ब्लॉक व गांव में किसी माध्यम से जानकारी भेजी गई। यही कारण रहा कि किसानों को यही नहीं पता था कि शनिवार और रविवार के अवकाश के बाद भी सोमवार को नानाखेड़ी मंडी पर खाद वितरण नहीं होगा। आमतौर किसान मंडी में अपनी उपज बेचने आते हैं इसी दौरान वे खाद भी साथ ले जाते हैं। यही सोचकर एक सैकड़ा से अधिक किसान सोमवार अलसुबह अपने घर से निकल गए और 8 बजे तक नानाखेड़ी मंडी पहुंच गए। यहां आकर उन्हें पता चला कि आज यहां खाद नहीं बंटेगा। यह सुनते ही किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। थोड़ी ही देर में 200 से अधिक किसान ट्रेक्टर ट्रॉली सहित इकट्ठे गए। विरोध स्वरूप चक्काजाम लगा दिया। यही नहीं पुतले का भी दहन किया।
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मंडी गेट पर गाडिय़ां खड़ी कर लगाया जाम
जरुरत के समय खाद न मिलने से किसान काफी ज्यादा नाराज थे। उन्होंने मंडी गेट पर अपनी गाडिय़ां खड़ी कर रोड जाम कर दी और खुद सड़क पर ही बैठ गए। किसानों ने बताया कि उन्हें इस समय डीएपी की बहुत ज्यादा जरुरत है। रबी की बोवनी के लिए खेत तैयार हो चुके हैं।
इस समय उन्हें डीएपी की बहुत ज्यादा जरुरत है लेकिन 5 से 10 दिनों तक चक्कर लगाने के बाद भी खाद नहीं मिल पा रही है। किसानों ने अधिकारियों से पूछा कि उन्हें कब खाद मिलेगा तो वह सही जवाब नहीं दे पाए।
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आमजन को यह आई परेशानी
किसानों द्वारा लगाए गए जाम से ग्वालियर और शिवपुरी की तरफ जाने वाला मार्ग बंद हो गया। जिससे स्थानीय नागरिकों को भी काफी चक्कर लगाकर दूसरे रास्तों से जाना पड़ा।
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पुलिस तो तैनात कर दी लेकिन पेयजल के इंतजाम नहीं
जिले के रुठियाई कस्बे में सोमवार को एक निजी दुकान पर खाद विक्रय किया जा रहा था। जहां किसानों की काफी ज्यादा संख्या थी। जिससे आसपास के दुकानदारों को भी खासी परेशानी झेलनी पड़ी। वहीं किसानों की भीड़ देखते हुए पुलिस मौजूद थी लेकिन किसानों की सुविधा का कोई ख्याल नहीं रखा गया। सुबह से भूखे ही लाइन में लगे किसानों को पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं था। कई बुजुर्गों की लाइन में खड़े होने की स्थिति तक नहीं थी।
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निजी दुकानों पर ब्लैक में बिक रहा खाद
ग्रामीण क्षेत्र की सहकारी समितियों पर भी खाद नहीं मिल रहा है। इसलिए किसानों को निजी दुकानों से औने-पौने दामों पर खाद खरीदना पड़ रहा है। निर्धारित कीमत से 250 रुपए तक विक्रेता वसूल रहे हंै।
दीपक शर्मा, किसान
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निजी दुकान संचालक पीओएस मशीन में 10 कट्टे चढ़ाकर 8 ही दे रहे हैं। वहीं खाद की पक्की रसीद भी नहीं दे रहे। वहीं वितरण भी काफी धीमी गति से हो रहा है, जिससे किसानों को लंबी लाइन में लगने में बहुत ज्यादा दिक्कत आ रही है।
प्रदीप यादव, किसान