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हाइकोर्ट और सीबीआइ ने लगाई थी रोक फिर भी बिक गई जमीन, करा दी रजिस्ट्री

परिवार डेयरी फर्म की जमीन खरीदी शहर के भू-कारोबारियों ने, नामांतरण के लिए पहुंचा आवेदन तो हुआ खुलासा, जांच के घेरे मेें जिला पंजीयक कार्यालय
 

गुनाMar 18, 2021 / 12:09 am

Bharat pandey

हाइकोर्ट और सीबीआइ ने लगाई थी रोक फिर भी बिक गई जमीन, करा दी रजिस्ट्री

हाइकोर्ट और सीबीआइ ने लगाई थी रोक फिर भी बिक गई जमीन, करा दी रजिस्ट्री

गुना। जिला पंजीयक कार्यालय में कोई भी विवादित, कोर्ट समेत अन्य शासकीय एजेन्सियों में लंबित जमीन मामले में रोक के बाद भी रजिस्ट्री करा सकते हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया है, जहां तमिलनाडु हाईकोर्ट, सीबीआइ चेन्नई में लंबित मामले के बाद भी जिला पंजीयक कार्यालय में पदस्थ दो डिप्टी रजिस्ट्रारों ने अलग-अलग लोगों के नाम रजिस्ट्री कर दी है। यह रजिस्ट्री शहर के चर्चित भू कारोबारियों के नाम हुई है।

सूत्रों के अनुसार ग्वालियर के राकेश सिंह नरवरिया ने परिवार डेयरी के नाम से चिटफण्ड कंपनी बनाई थी, नरवरिया की संपत्ति गुना में भी है। इस चिटफण्ड कंपनी द्वारा ठगी के शिकार हुए लोगों ने गुना समेत दूसरे शहर, प्रदेश व दूसरे राज्यों में शिकायत की थी। सूत्रों के अनुसार मई 2019 में सीबीआइ ईओबी चेन्नई ने मप्र के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन एण्ड स्टॉम्प पंजीयन भवन भोपाल को एक पत्र भेजा था, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट ने परिवार डेयरी फर्म मामले के बारे में इसकी संपत्ति की जानकारी मांगी और कहा कि जब तक मामले का निराकरण न हो जाए, तब तक जमीन को सरेण्डर या बिक्री न कराई जाए। सिक्यूरिटी एण्ड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एक आदेश में 27 मार्च 2018 को ऐसी संपत्तियों पर किसी भी तरह की बिक्री पर आगामी चार साल तक के लिए रोक लगाई थी।


इन लोगों के नाम हुईं रजिस्ट्रियां
सेबी, मद्रास हाईकोर्ट, सीबीआइ, ईओबी मुंबई में लंबित मामले के दौरान लगभग 70 बीघा जमीन जो उक्त चिटफण्ड कंपनी की थी, उसको खरीदने का सौदा यहां के चर्चित भू-कारोबारियों के साथ हुआ। जिला पंजीयक कार्यालय में कई वर्षों से पदस्थ उपपंजीयक इन्द्र कुमार शुक्ला के द्वारा रोक के आदेश की अनदेखी कर 29 दिसंबर 2020 को परिवार डेयरी के डायरेक्टर राकेश नरवरिया निवासी ग्वालियर ने गुना शहर में स्थित संपत्ति बेचकर शहर के चर्चित कॉलोनाइजर मुकेश राठौर, अखिलेश जैन और अनीष कुमार सिंह के नाम रजिस्ट्री कर दी। इस रजिस्ट्री पर एक लाख 30 हजार 416 रुपए के स्टॉम्प लगे हैं, जबकि संपत्ति का मूल्य इस रजिस्ट्री में 20 लाख 6 हजार 400 रुपए बताई गई है। इसी दिनांक को राकेश नरवरिया की संपत्ति जिसकी कीमत 37 लाख 17 हजार रुपए थी, उसकी रजिस्ट्री उपपंजीयक इन्द्र कुमार शुक्ला ने नरेश अरोरा, जगदीश शर्मा, योगेश शर्मा के नाम की है, जिसमें विक्रेता राकेश सिंह नरवरिया स्वयं हैं। ऐसे ही चिटफण्ड कारोबारी राकेश सिंह नरवरिया ने 30 दिसंबर 2020 को एक दूसरी रजिस्ट्री इन्हीं लोगों के नाम की, जिसमें 12 लाख 70 हजार 200 रुपए है, जिस पर 38 हजार 106 रुपए के स्टाम्प लगे हैं। यह रजिस्ट्री उप पंजीयक समरत लाल राठौर ने की है। अभी 22 बीघा जमीन की रजिस्ट्री होने की बात सामने आई है। इससे जिला पंजीयक कार्यालय जांच के दायरे में आ गया है।

 

ऐसे हुआ खुलासा
कोर्ट व सीबीआइ की रोक के बाद यह दोनों रजिस्ट्री पहुंचने के बाद जब नामांतरण के लिए गुना तहसील में यह मामला पहुंचा तो छानबीन हुई। इसमें यह बात सामने आई कि रोक के बाद कैसे रजिस्ट्री हो गई। जमीन के खरीदारों ने जुगत बिठालकर नामांतरण करने का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हो सके, और इस मामला खुलकर सामने आ गया। इस संबंध में जमीन के खरीदारों को मोबाइल लगाया तो उनका मोबाइल आउट ऑफ कवरेज एरिया आता रहा।


-हमें जानकारी नहीं हैं सेबी, कोर्ट या सीबीआइ ने परिवार डेयरी से जुड़ी जमीनों की बिक्री पर रोक लगाई है। परिवार डेयरी की संपत्तियों की कितनी रजिस्ट्रियां हुई हैं, इसकी जानकारी मांगी थी। हमने अपने वरिष्ठ कार्यालय को इन रजिस्ट्रियों की जानकारी भेज दी है। -इन्द्र कुमार शुक्ला उपपंजीयक गुना


– हमारे पास नामांतरण के लिए राकेश नरवरिया से संपत्ति खरीदने वालों के आवेदन आए हैं, मद्रास हाईकोर्ट और सीबीआइ में इससे जुड़े मामले की जानकारी होने पर रजिस्ट्री कैसे हो गई, इस बारे में हम कुछ नहीं कह सकते। जांच के बाद ही कार्रवाई करेंगे। -संदीप श्रीवास्तव तहसीलदार

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