scriptअरे भाई…बत्ती नहीं दिख रही है? | Hey brother ... do not see the light what? | Patrika News
गुना

अरे भाई…बत्ती नहीं दिख रही है?

सिग्नल प्रणाली के माध्यम से यातायात पुलिस का प्रयास था कि शहर के मुख्य चौराहों पर होने वाली दुर्घटनाओं और अव्यवस्थित यातायात पर अंकुश लगाई जाए। इसके लिए सबसे पहले सबसे बड़े और व्यस्ततम चौराहे पर यह सिग्नल लगाए गए हैं। लेकिन इस चौराहे पर जिस तरह की स्थिति बन रही है, उससे लगता है कि सिग्नल प्रणाली का फायदा कम और नुकसान ही अधिक हुआ है।

गुनाDec 12, 2018 / 10:54 pm

brajesh tiwari

patrika news

इसके लिए सबसे पहले सबसे बड़े और व्यस्ततम चौराहे पर यह सिग्नल लगाए गए हैं। लेकिन इस चौराहे पर जिस तरह की स्थिति बन रही है, उससे लगता है कि सिग्नल प्रणाली का फायदा कम और नुकसान ही अधिक हुआ है।

गुना. अरे भाई…बत्ती नहीं दिख रही है? रेड लाइट में आगे बढ़ोगे तो चालान बन जाएगा। यातायात नियमों का पालन करना चाहिए। शहर के हनुमान चौराहा पर सिग्नल प्रणाली लागू होने के बाद से ही वाहन चालकों और यातायात पुलिस के कर्मचारियों इस तरह की बहस आए दिन की बात हो गई है। बुधवार को भी दिन में कई बार नियम तोडऩे वाले यातायातकर्मियों और के बीच विवाद की स्थिति बनी। सिग्नल प्रणाली के माध्यम से यातायात पुलिस का प्रयास था कि शहर के मुख्य चौराहों पर होने वाली दुर्घटनाओं और अव्यवस्थित यातायात पर अंकुश लगाई जाए। इसके लिए सबसे पहले सबसे बड़े और व्यस्ततम चौराहे पर यह सिग्नल लगाए गए हैं। लेकिन इस चौराहे पर जिस तरह की स्थिति बन रही है, उससे लगता है कि सिग्नल प्रणाली का फायदा कम और नुकसान ही अधिक हुआ है। क्योंकि यातायात पुलिस व्यवस्था सुधारने से ज्यादा लोगों को समझाइश देने के लिए अधिक व्यस्त हो चुकी है। लेकिन वाहन चालक सुधरने तैयार नहीं हैं।
वाहनों की क्षमता का बोझ सहन नहीं कर पा रहा है हनुमान चौराहा
शहर के तीन प्रमुख चौराहों में सबसे बड़ा और व्यवस्थित हनुमान चौराहा है। इसके बावजूद इसकी क्षमता इतनी नहीं है कि चारों ओर से आने वाले वाहन व्यवस्थित तरीके से खड़े हो जाएं और इनके आवागमन में किसी तरह की अव्यवस्था न हो। सिग्नल प्रणाली लागू होने के बाद तो इसमें और अधिक समस्या खड़ी होने लगी है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हनुमान चौराहा पर शहर के हाट रोड, तेलघानी, अशोकनगर मार्ग और ग्वालियर रोड से भारी संख्या में वाहन आते-जाते रहते हैं। सुबह 9 बजे सिग्नल शुरु कर दिए जाते हैं, जो रात 9 बजे तक सक्रिय रहते हैं। इसी बीच वाहनों की सबसे अधिक आवाजाही होती है। खासतौर पर यदि छोटे वाहनों के बीच कोई बस या बड़ा ट्राला फंस जाए तो अन्य वाहन निकलने के लिए इंतजार करते हैं। इस दौरान लाइट ग्रीन होने के बाद दोबारा लाल हो जाती है। कुल मिलाकर आठ दिशाओं से वाहनों की आवाजाही के दौरान बत्तियों के रंग बदलने के समय में अंतर भी अव्यवस्थित है, जो वाहन निकलने में परेशानी बनता है।
पुलिस काम करे या बहस, सख्त कार्रवाई से ही बन सकेगी बात
हनुमान चौराहे पर रोजाना यातायात पुलिस के जवानों और वाहन चालकों में हो रही बहस को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस के जवानों को यहां ड्यूटी करने में कितनी परेशानी होती है। वह भी ऐसे समय में जब जिले में यातायात पुलिस के जवानों की संख्या बेहद कम है। वर्तमान में पदस्थ पुलिस अधिकारियों और यातायातकर्मियों को शहर के जयस्तंभ चौराहा, तेलघानी, एबी रोड, सदर बाजार, हाट रोड जैसे प्रमुख चौराहों और क्षेत्रों में यातायात का जिम्मा संभालने के अलावा बिलोनिया और टोलनाका क्षेत्र में भी व्यवस्थाओं का जिम्मा रहता है। लेकिन कम संख्या की वजह से हनुमान चौराहे पर एक बार में दो से अधिक जवान तैनात नहीं कर सकते हैं। कभी-कभी तो एक ही जवान इस चौराहे पर तैनात किया जाता है, जिससे व्यवस्थाएं नहीं संभलती। क्योंकि आठ तरफ से आने-जाने वाले यातायात पर एक व्यक्ति द्वारा नजर रखना मुश्किल हो रहा है। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नो एंट्री का नियम बन रहा परेशान
शहर में वाहनों के लिए निर्धारित किया गया नो एंट्री का नियम भी परेशानी का सबब बन रहा है। क्योंकि हनुमान चौराहे के बाद से नो एंट्री का दायरा निर्धारित है। लेकिन सबसे अधिक दाबव इसी चौराहे पर भी है। यहां सिग्नल प्रणाली लागू होने की वजह से बड़े वाहन जब चौराहे पर क्रॉस होते हैं तो छोटे वाहनों को उनके पीछे खड़ा होना पड़ता है। व्यवस्था को देखते हुए हनुमान चौराहे से बड़े वाहनों की आवाजाही बंद होना चाहिए।
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