परम्पराओं का कर रहे हैं निर्वाहन द्वापर युग से चली आ रही परंपरा के अनुसार श्रीमद् वल्लभाचार्य के समय से आचार्यों ने होली महोत्सव पर 40 दिवसीय बसंत पंचमी से धुलेंडी तक विशेष मनोरथ फाग आंनदोत्सव की परंपरा प्रारंभ की। ब्रज प्रदेश की इस परंपरा में श्रीकृष्ण के भक्त होली के रसियों एवं भक्त कवियों के पदों का गायन कर अबीर, गुलाल, पुष्पों से श्री ठाकुर जी के साथ होली उत्सव का आनंद लेते हैं। बमोरी-गुना अंचल के बमोरी रतनपुरा, बिलोदा, विशनपुरा, मगरोडा, भिडरा, बिशनपुरा, भौंरा, परवाह, बनेह, छबड़ा, खुरई, नाहरगढ़, लालोनी, बाघेरी, पांचौरा, खुटियारी, ऊमरी सहित एक सैकड़ा से अधिक गांवों में वल्लभकुल आचार्यों की उपस्थिति में हजारों वैष्णव होली उत्सव पर भक्ति के रंगों में डूबे। शरद बाबा, विनय बाबा, अहमदाबाद के आचार्यश्री दर्शन बाबा सहित नासिक से पधारे गोपीनाथ दीक्षित बाबा, आचार्यों की मौजूदगी में होली खेली जा रही है।