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गुना

खेल रहे फूलों की होली

40 दिवसीय फाग महोत्सव भारतीय संस्कृति में सामाजिक समरसता का प्रतीक है। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने मालवा अंचल में चल रहे फाग महोत्सव के बारे में कहा कि समाज में अनेकों जातियों के रूप में विभिन्न रंग दिखाई देते हैं।

गुनाMar 11, 2019 / 08:28 pm

brajesh tiwari

patrika

40 दिवसीय फाग महोत्सव भारतीय संस्कृति में सामाजिक समरसता का प्रतीक है।

गुना. अंचल के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के पुष्टि शक्ति केंद्रों सत्संग मंडलों, श्रीनाथ जी के मंदिरों में होली के रसियों का गायन कर, भक्तगण भगवान के साथ अवीर गुलाल, चंदन के साथ फूलों की होली खेल रहे हैं। जिल के करीब एक सैकड़ा गांवों में होली महोत्सव में हजारों वैष्णव शरीक हुए। इस दौरान 12 को धाननखेड़ी मेें गोस्वामी दीक्षित, 1& को भांैरा मंदिर एवं रतनपुरा में, 14 को लालोनी में गोस्वामी मधुरम बाबा के सानिध्य में तथा 18 को मगरोडा में गोस्वामी शरद बाबा के सानिध्य में कार्यक्रम होंगे। 40 दिवसीय फाग महोत्सव भारतीय संस्कृति में सामाजिक समरसता का प्रतीक है। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने मालवा अंचल में चल रहे फाग महोत्सव के बारे में कहा कि समाज में अनेकों जातियों के रूप में विभिन्न रंग दिखाई देते हैं। होली महोत्सव उन सभी रंगों का एकीकरण है। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के तहत 40 दिवसीय फाग महोत्सव मनाया जा रहा है। परिषद के जिला प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया अंचल के एक सैकड़ा से अधिक ग्रामों में फाग महोत्सव पर वल्लभ कुल गोस्वामी आचार्यों के सानिध्य में श्री ठाकुर जी से लाड़ लड़ाया जाता है। श्रीनाथ के मंदिर में भक्तों को नवधा भक्ति के रंग में रंगकर, भक्तिरस में डूबकर भगवान की सेवा करने का आव्हान विनय बाबा ने वैष्णव संप्रदाय के भक्तों से किया। वहीं शहर के श्री गोवद्र्धननाथ मंदिर में कोटा से पधारे गोस्वामी शरद बाबा के सानिध्य में होली महोत्सव में वैष्णवों की भीड़ उमड़ी।
परम्पराओं का कर रहे हैं निर्वाहन

द्वापर युग से चली आ रही परंपरा के अनुसार श्रीमद् वल्लभाचार्य के समय से आचार्यों ने होली महोत्सव पर 40 दिवसीय बसंत पंचमी से धुलेंडी तक विशेष मनोरथ फाग आंनदोत्सव की परंपरा प्रारंभ की। ब्रज प्रदेश की इस परंपरा में श्रीकृष्ण के भक्त होली के रसियों एवं भक्त कवियों के पदों का गायन कर अबीर, गुलाल, पुष्पों से श्री ठाकुर जी के साथ होली उत्सव का आनंद लेते हैं। बमोरी-गुना अंचल के बमोरी रतनपुरा, बिलोदा, विशनपुरा, मगरोडा, भिडरा, बिशनपुरा, भौंरा, परवाह, बनेह, छबड़ा, खुरई, नाहरगढ़, लालोनी, बाघेरी, पांचौरा, खुटियारी, ऊमरी सहित एक सैकड़ा से अधिक गांवों में वल्लभकुल आचार्यों की उपस्थिति में हजारों वैष्णव होली उत्सव पर भक्ति के रंगों में डूबे। शरद बाबा, विनय बाबा, अहमदाबाद के आचार्यश्री दर्शन बाबा सहित नासिक से पधारे गोपीनाथ दीक्षित बाबा, आचार्यों की मौजूदगी में होली खेली जा रही है।

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