वहीं मेटरनिटी विंग में रिश्वत मांगने जैसी घटनाएं न हों इसके लिए हमने एंटी करप्शन टीम बनाने का निर्णय लिया है। इस टीम में जिला अस्पताल के आरएमओ, उपप्रबंधक, मेटरनिटी विंग इंचार्ज के अलावा अस्पताल के ही दो डाक्टर रहेंगे। यह टीम समय समय पर मेटरनिटी में पहुंचकर मरीजों से पूछेगी कि डिलेवरी या अन्य सुविधा के बदले किसी ने आपसे रिश्वत मांगी है क्या ? साथ ही मरीजों व अटैंडरों से कहा जाएगा कि यदि उनसे कोई पैसे मांगता है तो वे सीधे सिविल सर्जन के कक्ष में आकर बिना डरे शिकायत कर सकते हैं। संबंधित के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
यह था मामला
ग्राम भमावत निवासी नारायणी (32)पत्नी राजकुमार कुशवाह को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन सबसे पहले कुंभराज हॉस्पिटल ले गए। लेकिन वहां के स्टाफ ने डॉक्टर न होने की बात कहकर गुना अस्पताल रैफर कर दिया था। परिजनों का आरोप है कि जब नारायणी को जिला अस्पताल लाया गया तो यहां के स्टाफ ने डिलेवरी कराने के लिए 3 हजार रुपए की मांग की। मजबूरी में परिजनों ने ढाई हजार तो दे दिए लेकिन 500 रुपए कम पड़ गए। जिसके चलते प्रसूता की डिलेवरी नहीं कराई और दर्द से तड़पते हुए न सिर्फ प्रसूता की मौत हुई बल्कि उसके पेट में मौजूद बच्चे की भी जान चली गई।
घटना के बाद परिजनों ने लाश रखकर आक्रोश जाहिर किया। बाद में किसी तरह परिजन पोस्टमार्टम कराने के लिए राजी हुए। तब जाकर पता चला कि नारायणी की कोख में मौजूद बच्चा लड़का था, जिसके इंतजार में उनका पूरा परिवार था। क्योंकि इससे पहले नारायणी ने तीन लड़कियों को जन्म दिया था। तब से ही परिवार लड़के की आस लगाए हुए थे और नसबंदी तक नहीं कराई थी।
पत्रिका ने पहले ही कर दिया था खुलासा
यहां बताना होगा कि पत्रिका ने 11 मार्च के अंक में मेटरनिटी विंग में ऑपरेशन का खौफ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर यह खुलासा कर दिया था कि मेटरनिटी विंग स्टाफ भर्ती मरीजों व अटैंडरों से डिलेवरी कराने के बदले में रिश्वत मांग रहा है। न देने पर सीजर से डिलेवरी होने की बात कहकर डरा रहा है।
इनका कहना है
प्रसूता की मौत के मामले की जांच इन्क्वारी टीम कर रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हम कह पाएंगे कि परिजनों के आरोप सही हैं या नहीं। प्रसूता की मौत का कारण लापरवाही तो है ही।
डा एसपी जैन, सिविल सर्जन जिला अस्पताल गुना