पत्रिका फोकस : संक्रमण से बचाने वाला अस्पताल ही फैला रहा इन्फेक्शन
– टीबी अस्पताल भवन के चारों तरफ जमा है गंदा पानी, पैदा हो रहे मच्छर, पनप रही गंदगी- स्टाफ को न टॉयलेट जाने की व्यवस्था और न ही पेयजल के इंतजाम- प्रभारी नहीं दे रहे अस्पताल की व्यवस्थाओं पर ध्यान- दो डॉक्टर होने के बावजूद मरीजों को नहीं मिल पा रहा इलाज
पत्रिका फोकस : संक्रमण से बचाने वाला अस्पताल ही फैला रहा इन्फेक्शन
गुना. जिस अस्पताल पर लोगों को संक्रमण से बचाने का जिम्मा है वही इन दिनों संक्रमण फैलाने का काम कर रहा है। हम बात कर रहे हैं टीबी अस्पताल की। जिसका भवन जिला अस्पताल परिसर में ही स्थित है। जहां टीबी बीमारी के अलावा अन्य रोगों के मरीज भी आते हैं। लेकिन अस्पताल प्रबंधन को न तो अपने स्टाफ की फिक्र है और न ही मरीजों की। टीबी अस्पताल की लैब का बेहद हानिकारक व संक्रमित पानी खुली नाली के जरिए बाहर बहाया जा रहा है। इसी स्थान पर अस्पताल स्टाफ के वाहनों को खड़े करने के लिए स्टैंड भी बनाया गया है।नजदीक में कोविड सैंपल कलेक्शन सेंटर भी स्थापित है। वहीं अस्पताल की छत पर रखी टंकियों से पूरे समय पानी रिसता रहता है। जिसके कारण चारों तरफ जल भराव की स्थिति बनी हुई है। कुल मिलाकर यह अस्पताल संक्रमण फैलाने का काम कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक टीबी अस्पताल में दो डॉक्टर के अलावा करीब आधा सैकड़ा स्टाफ पदस्थ है। लेकिन इन्हें पीने के लिए शुद्ध पानी तक उपलब्ध नहीं है। वहीं टॉयलेट के लिए स्टाफ को सार्वजनिक शौचालय में जाना पड़ता है। क्योंकि टीबी अस्पताल की टॉयलेट की हालत इतनी ज्यादा खराब है कि उसका उपयोग स्टाफ नहीं कर पा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि वे इस समस्या से अपने विभाग के आला अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूरे भवन की हालत भी बेहद जर्जर हो चुकी है। जरा सी बारिश होने पर भी छत से पानी टपकने लगता है।
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दो डॉक्टर होने के बाद भी मरीज परेशान
टीबी अस्पताल में दो डॉक्टर पदस्थ हैं। इनमें से एक चिकित्सक सिविल अस्पताल की ओपीडी में ड्यूटी देते हैं जबकि दूसरे डॉक्टर टीबी अस्पताल में बैठते हैं। लेकिन मरीजों का कहना है कि वे कई बार यहां आए तो उन्हें न तो टीबी अस्पताल में डॉक्टर मिले और न ही सिविल अस्पताल में। डॉक्टर के न मिलने से मरीज का इलाज तत्काल शुरू नहीं हो पाता है।
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रेडियोग्राफर है लेकिन मशीन नहीं, वेन है लेकिन किट नहीं
सरकार भले ही टीबी मरीजों के इलाज पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन इसके बावजूद व्यवस्थाएं अधूरी हैं। जिसका एक उदाहरण गुना का टीबी अस्पताल है। जहां शासन ने टीबी मरीजों का एक्सरे करने रेडियोग्राफर की पदस्थापना तो कर दी लेकिन एक्सरे मशीन आज तक उपलब्ध नहीं कराई। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में मरीजों को खोजने और उनकी मौके पर ही बलगम और एक्सरे जांच करने एक विशेष वाहन उपलब्ध कराया है। लेकिन इस वाहन में सुविधाएं अधूरी हैं। जिसके कारण जिस दिनांक से यह वाहन आया है उस दिनांक से आज तक इसका उपयोग तक नहीं हो सका है। टीबी मरीजों को एक्सरे कराने में बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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