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पर्यटन को बढ़ावा देने समय-समय पर बैठकें तो हुईं लेकिन धरातल पर अमल नहीं

– जिले में कई ऐसे प्राकृतिक दर्शनीय स्थल जो बन सकते हैं पर्यटन केंद्र- टेकरी सरकार मंदिर को छोड़ कहीं भी नहीं हुए जीर्णोद्धार के प्रयास- बजरंगगढ़ और चांचौड़ा किला उपेक्षा का शिकार- प्राकृतिक सौन्दर्य से ओतप्रोत केदारनाथधाम पर भी ध्यान नहीं- पर्यटक केंद्र विकसित हों तो रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी

गुनाSep 28, 2021 / 11:32 am

Narendra Kushwah

पर्यटन को बढ़ावा देने समय-समय पर बैठकें तो हुईं लेकिन धरातल पर अमल नहीं

पर्यटन को बढ़ावा देने समय-समय पर बैठकें तो हुईं लेकिन धरातल पर अमल नहीं

गुना. मप्र के गुना जिले में पर्यटन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। प्राचीन धरोहरों को आज भी कुदरत ने इतना संवार रखा है कि लोग दूर-दूर से यहां उसे देखने आते हैं। लेकिन समय के साथ इनके सौन्दर्य में कमी भी आती जा रही है। यदि समय रहते इनकी सही देखरेख और जीर्णोद्धार हो जाए तो निश्चित रूप से यह स्थल प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में गिने जाने लगेंगे। जिले मेें पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहला नाम बजरंगगढ़ के ऐतिहासिक किले का आता है। जिसे कागजों में तो पुरातत्व विभाग ने हैंडओवर ले रखा है। जो पिछले काफी समय से किले का जीर्णोद्धार करने में जुटा हुआ है। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत यह है कि यहां कोई सुधार कार्य देखने को नहीं मिल रहा। पर्यटन स्थलों में दूसरा नाम केदारनाथधाम का आता है। जिसे प्रकृति ने इतना ज्यादा संवारा है कि जंगल के बीचों बीच होने के बावजूद लोग यहां झरने को देखने आते हैं। लेकिन सुरक्षा इंतजामों के लिहाज से यह स्थान काफी पीछे है। वर्तमान में जिला मुख्यालय पर टेकरी सरकार मंदिर ही एक ऐसा स्थान है, जहां सबसे ज्यादा लोग दर्शन करने और घूमने आते हैं। यह एक ऐसा इकलौता स्थान भी जहां अब तक किए गए विकास कार्य देखने को भी मिल रहे हैं। जिनमें पहुंच मार्ग से लेकर दर्शनार्थियों के लिए हर जरूरी सुविधा शामिल है। मंदिर को इतना आकर्षक रूप दे दिया गया है कि यह शहर का प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है। इसके बावजूद अभी भी यहां विकास कार्य लगातार जारी हैं।

असामाजिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा बजरंगगढ़ किला
शासन-प्रशासन के उदासीन रवैए के कारण बजरंगगढ़ का ऐतिहासिक किला पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होने की वजाए असमाजिक तत्वों का केंद्र बनता जा रहा है। किले में अब तक की सबसे बड़ी घटना यहां से कई क्विंटल बजनी तोप का चोरी जाना रही। जिसका आज तक कहीं कोई पता नहीं चल सका है। इस घटना को घटित हुए 10 साल से भी ज्यादा समय गुजर चुका है। इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी आज तक किले में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। इसके अलावा किलो परिसर में जून माह में एक बच्चे की खून से लथपथ लाश मिली थी। पुलिस विवेचना के बाद पता चला कि उक्त बच्चे की हत्या की गई थी। यानि कि किले का सुनसान इलाका अपराधियों के लिए सुविधाजनक बन गया है। किले में कोई रोकने टोकने वाला न होने के कारण यह क्षेत्र लवर प्वाइंट के रूप में विकसित हो रहा है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब स्कूल छात्र-छात्राएं यहां देखी गईं। किले में घूमने आने वालों की बाइक भी चोरी जा चुकी हैं। ताजा मामला किले में स्थित मंदिर के पुजारी की बाइक चोरी का सामने आया है। यहां बता दें कि अब तक यहां से चोरी गई बाइकों का आज तक सुराग नहीं लग सका है।

पर्यटन को बढ़ावा देने हाल ही में हुई थी बैठक
विश्व पर्यटन दिवस से ऐन पहले 24 सितंबर को कलेक्ट्रेट में एक बैठक हुई। जिसमें जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्ययोजना तैयार किए जाने पर चर्चा हुई। अधिकारियों ने बताया कि जिले में कई पुरातात्विक महत्व के स्थल हैं, तो वहीं मूर्तियों का भी भंडार है। इनको एकत्रित कर संग्रहालय का स्वरूप दिया जाए, तो इमारतों के संरक्षण, संवर्धन और पर्यटकों को आकर्षित करने सुविधाएं विकसित की जाएं। कलेक्टर फ्रेंक नोबल. ए. ने जिला पर्यटन संवर्धन परिषद की बैठक में अध्यक्षता करते हुए कहा कि बजरंगगढ़ किला, केदारनाथ धाम तथा अन्य कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो पुरातात्विक महत्व के हैं। उनको विकसित कर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। जिले में पर्यटन विकास एवं पुरातात्विक इमारतों के संरक्षण, संवर्धन तथा पर्यटकों को आकर्षित करने, योग्य सुविधाएं विकसित करने के उद्देश्य से कार्ययोजना बनाई जाए, जिससे जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिले। बैठक में मौजूद सेवानिवृत प्राध्यापक एससी दहीभाते ने कहा कि जिले में पुरातात्विक मूर्तियों का अपार भंडार है। इन्हें एकत्रित कर एक स्थान पर स्थापित कर संग्रहालय का रूप दिया जाए, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिले। कलेक्टर ने कहा कि मूर्तियों तथा पुरातात्विक स्थलों के संबंध में रिपोर्ट सहायक संचालक पुरातत्व विभाग आगामी बैठक में प्रस्तुत करें, जिससे आगामी कार्रवाई हो सके। खास बात यह है कि इस जरूरी मीटिंग में पुरातत्व विभाग के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुए। जिसे लेकर कलेक्टर ने नाराजगी जाहिर करते हुए भोपाल स्तर पर उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखने के निर्देश दिए।

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