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मंडे मेगा स्टोरी : अब शहर से निकले 10 तरह के कचरे को फिर से उपयोग लायक बनाया जा सकेगा

एक करोड 63 लाख की लागत से एमआरएफ प्लांट बनकर तैयार- शहर के नजदीकी ग्राम सकतपुर में बनाया गया है प्लांट- हानिकारक कचरे को खुले में डंप किए जाने की समस्या से मिलेगी निजात- पॉलीथिन को किया जाएगा रिसाइकिल- गीले कचरे से बनाई जाएगी जैविक खाद, नपा की बढ़ेगी आय

गुनाJan 24, 2022 / 01:08 pm

Narendra Kushwah

मंडे मेगा स्टोरी : अब शहर से निकले 10 तरह के कचरे को फिर से उपयोग लायक बनाया जा सकेगा

मंडे मेगा स्टोरी : अब शहर से निकले 10 तरह के कचरे को फिर से उपयोग लायक बनाया जा सकेगा

गुना. शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के अभियान को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। अब नगर के सभी 37 वार्डों से निकलने वाले कचरे का अब जल्द ही आसानी से निदान हो सकेगा। इसके लिए मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर (एमआरएफसी) बनकर तैयार हो चुका है। शहर के नजदीक ग्राम सकतपुर के बाहरी इलाके में यह सेंटर बनाया गया है। जिसकी कुल लागत एक करोड 63 लाख रुपए है। खास बात यह है कि इस सेंटर के बनने से सूखे व गीले कचरे का पृथक निस्तारण आसानी हो सकेगा।
जानकारी के मुताबिक नगर पालिका परिषद शहर को साफ-सुथरा बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। हर महीने सफाई व्यवस्था पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। सूखे व गीले कचरे को अलग करने के लिए लोडिंग वाहनों के माध्यम से डोर टू डोर संग्रहण किया जाता है। इस दौरान प्रतिदिन 60 टन कचरा निकलता है, जिसे सकतपुर स्थित ट्रैंचिंग ग्राउंड में एकत्रित किया जाता है। जहां सबसे पहले 10 तरह के कचरे को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। इसके बाद यहां बने एमआरएफ सेंटर में कचरे की प्रोसेसिंग शुरू होगी।

कंपोस्ट खाद से नपा की बढ़ेगी आय
गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बनाई जाएगी। नगर पालिका द्वारा इसे न्यूनतम रेटों पर बेचा जाएगा। वहीं, सूखे कचरे से लोहे व पन्नी को अलग-अलग किया जाएगा। शेष कचरा डंपिंग स्थल पर डंप कर दिया जाएगा। इससे नगर पालिका परिषद की आय में बढ़ोत्तरी होगी।

बेकार चीजों को किया जाएगा रिसाइकिल
एमआरएफ सेंटर में रद्दी पेपर, प्लास्टिक, कपड़ा, गत्ता, रैपर्स जैसी बेकार चीजों को रिसाइकिल किया जाएगा। कचरे के क्वालिटी के आधार पर उसका फेब्रीकेशन का कार्य मैनपावर के माध्यम से कराया जाएगा। इसके बाद मशीनों के जरिए गीले व सूखे कचरे की मशीनों द्वारा छटाई कर अलग-अलग किया जाएगा। गीले कचरे से कम्पोस्ट खाद्य और सूखे कचरे से अन्य मटेरियल बनाया जाएगा। जिसका इस्तेमाल सड़क निर्माण आदि में भी किया जाएगा। कूड़े से प्राप्त रिसाइकिल प्लास्टिक से टाइल्स का निर्माण भी किया जाना सम्भव हो सकेगा, जो अन्य टाइल्स के मुकाबले काफी मजबूत होगा। उक्त प्लांट लगाए जाने से जहां प्रदूषण कम होगा, वहीं कचरे से भी लोगों को छुटकारा मिलेगा

इस तरह प्रथक होगा कचरा
मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर (कचरा संग्रहण केंद्र) में शहर भर से गाडिय़ां कचरा लेकर आएंगी। जहां मशीन के पट्टे पर गीला, सूखा कचरा अलग-अलग डाल दिया जाएगा। गीला कचरा वैसे के वैसा ही पट्टे के माध्यम से आगे जाएगा। मशीन से दबाव डालकर कचरा पूरी तरह सूखा दिया जाएगा। उसके बाद कचरा टैंकरनुमा कैप्सूल में चला जाएगा। वहीं सूखा कचरा पहले पीछे की ओर जाएगा। वहां उपयोग होने वाले सामान अथवा कबाड़ को अलग कर लिया जाएगा।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह व्यवस्था जरूरी
स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर परिषद को सूखे कचरा के लिए मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर का निर्माण कराना अनिवार्य है। इस यूनिट के निर्माण होने पर कचरा से निकलने वाली प्लास्टिक की सामग्री की छंटाई एवं उसका आकलन कर पंजी में प्रतिदिन अंकित करना होगा। स्वच्छ भारत के पहले चरण में शौचालय पर फोकस था। दूसरे चरण में वेस्ट मैनेजमेंट पर फोकस है। नए मिशन में 3-आर मतलब रीड्यूस, रीयूज और रिसाइकल पर जोर दिया जा रहा है।

इनका कहना है
सकतपुर में 1 करोड 63 लाख की लागत से एमआरएफ प्लांट बनकर तैयार हो चुका है। इसके संचालन के बाद शहर से निकले कचरे को अलग-अलग करने में आसानी होगी तथा बेकार कचरे को रिसाइकिल व अन्य तरह से कई काम में उपयोग लायक बनाया जा सकेगा। जैविक खाद सहित कई मटेरियल को विक्रय कर नपा की आय बढ़ेगी।
तेज सिंह यादव, सीएमओ

फैक्ट फाइल
शहर के कुल वार्ड : 37
एमआरएफ प्लांट की लागत : 1 करोड 63 लाख
प्रतिदिन कचरा निकलता है : 60 टन

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