सूत्रों ने बताया कि वर्ष 1950 से आदिवासी समाज में शामिल मोगिया जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था। गुना जिले के विभिन्न विधानसभाओं के ग्राम कर्रा खेड़ा, मसुरिया, भाऊपुरा, बेरखेड़ी, भैरोंघाटी, चक हनुमंतपुरा, टकनेरा, रूठियाई, भदौरी जैसे सैकड़ों गांवों में इस जाति के लोग निवास करते हैं। इनको पहले अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी किया।
बताया जाता है कि सन् 2017 में पिता-पुत्र की जाति बदलने का खुलासा पत्रिका ने किया था, जिसके बाद तत्कालीन प्रदेश सरकार हरकत में आई थी। गुना से लेकर प्रदेश सरकार तक लड़ाई लडऩे का काम इनकी ओर से वनवासी संघ व भाजपा से जुड़ेे धर्मस्वरूप भार्गव ने लड़ाई लड़ी।
सूत्रों ने जानकारी दी कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद स्थानीय स्तर पर भाजपा नेता से यह मुद्दा छुड़ाने के लिए कांग्रेस के कुछ नेता सक्रिय हुए और उन्होंने मोगिया जाति के आदिवासियों को साथ में ले जाकर प्रदेश के श्रम मंत्री व बमौरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक महेन्द्र सिंह सिसौदिया से मुलाकात कराई।
सूत्रों ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के तत्कालीन अपर सचिव केके कातिया ने कलेक्टर गुना और राजगढ़ को जिले में निवासरत मोगिया जाति को अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश दिए थे।
खास बात ये है कि किसी भी एसडीएम ने इन आदेशों का पालन नहीं किया, जिसका परिणाम ये है कि जिले की किसी तहसील में इस जाति के लोगों को प्रमाण पत्र नहीं मिले। जाति प्रमाण पत्र नहीं मिलने से आदिवासी सरकारी योजनाओं से वंचित तो हैं ही साथ ही स्कूली बच्चे भी छात्रवृत्ति एवं शासन की योजनाओ का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
बताया जाता है कि मोगिया जाति के युवाओं ने अपनी पहचान पाने के लिए जि मेदारों का दरवाजा खटखटाया लेकिन नतीजा बेअसर रहा। सबसे ज्यादा परेशानी चांचौड़ा, गुना और बमौरी तहसील में है जहां अधिकारियों ने बिना पटवारी से जांच करवाए जाति प्रमाण पत्र आवेदन पत्र खारिज कर दिए।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार जहां आदिवासियों के लिए कई योजनाएं संचालित करने में जुटी हुई है वहीं उनके मातहत मु यमंत्री कमलनाथ की मेहनत पर पानी फेरने में जुटे हुए हैं। अपनी पहचान पाने दर दर भटकने को मजबूर मोगिया समाज के लोगों ने अब सरकार के विरुद्ध आंदोलन छेडऩे का मन बना लिया है।
अफसर तक कन्फ्यूजन में
इस मामले में जब प्रशासन के एक अधिकारी से पूछा गया तो उनका कहना था कि मोगिया जाति अनुसूचित जनजाति में आती है। वहीं मोघिया जाति अनुसूचित जनजाति में। दोनों जातियों के बीच कन् यूजन के कारण अफसर जाति प्रमाण पत्र जारी करने में हिचक रहे हैं। वहीं इस संबंध में मोगिया समाज के सचिव रामहेत मोगिया का कहना था कि हमारी जल्द सुनवाई नहीं हुई तो हम समाज के बीच बैठकर कोई बड़ा निर्णय करेंगे।