यह नेशनल हाईवे-46 पर 9 सबसे खतरनाक ब्लैक स्पॉट हैं। जहां औसतन हर 4 हादसों में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। पत्रिका पड़ताल में बीते पौने तीन साल के आंकड़ों में इन 9 स्थानों पर से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके।
नेशनल हाईवे के इन काले स्थानों पर खामी होने से हादसे हो रहे हैं। इस वजह से हर साल मृतकों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, पिछले पौने तीन साल में फोरलेन पर अब तक 1570 हादसे चुके हैं।
इनमें 360 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और ढाई हजार लोग घायल हो गए। नेशनल हाइवे के इन 9 खतरनाक स्थानों में सबसे अधिक म्याना और चांचौड़ा में हैं। फोरलेन पर ये हैं ब्लैक स्पॉट: एबी रोड पर 9 ब्लैक स्पॉट हैं। जहां सबसे ज्यादा हादसे हुए हैं। इनमें खटकिया, दौराना, गौरा की पुलिया, गुरुद्वारा के पास भदौरा, पाटई, दुनाई, डुंगासरा, साक्षी कालेज और खजूरी गांव शामिल हैं। यहां 10-10 लोगों से ज्यादा जान गंवा चुके हैं और बार-बार हादसे हो रहे हैं।
दो साल पहले ही हुआ है फोरलेन
प्राप्त जानकारी के अनुसार आगरा से मुंबई को जोडऩे वाले एबी रोड को ढाई साल पहले ही फोरलेन में बदला है। इसके बाद भी हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या में कमी नहीं आ सकी।
इस साल 10 माह के भीतर ही 134 लोगों की मौत हो गई। जबकि 550 लोग घायल हुए हैं, इनमें से कई लोग अपनी जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। म्याना से चांचौड़ा के पाखरिया पुरा के बीच नेशनल हाईवे पर 9 ऐसे स्थान हैं, जहां हर साल 10-10 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। हर माह दिल दहलाने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं।
फोरलेन के बाद हादसों में कमी आई है। हमने फोरलेन पर साइन बोर्ड और ब्लंकर लगवा दिए हैं। एक ही जगह बार-बार घटनाएं होने की जानकारी हमें नहीं मिली।
– आरसी गुप्ता, प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआई गुना
तेज स्पीड हादसों का बड़ा कारण: एनएचएआई
उधर, एनएचएआई के अनुसार बढ़ते हादसों को लेकर वाहन चालक जिम्मेदार हैं। हादसे वाहन चालकों की वजह से और ओवर स्पीड से हुए हैं। हादसे चालकों की लापरवाही से होते हैं।
फोरलेन पर सभी जगह दिशा संकेतक, चिन्ह लगा रखे हैं। वाहनों की साइड भी तय है। अगर, कोई वाहन अवैध रूप से रोड पर आ जाए या नशे की हालत में वाहन चलाए तो दुर्घटनाएं होती हैं।
रफ्तार ने छीन ली चार सैकड़ा लोगों की जिंदगी…
वर्ष : हादसे : घायल : मौत
2017 : 648 : 951 : 122
2018 : 523 : 750 : 136
2019 : 400 : 510 : 134
2019 में महज 10 महीने में ही मरने वालों की संख्या 134 पहुंच गई। हर दिन हादसों में लोग जान गंवा रहे हैं। इससे आंकड़ा बढ़ सकता है।
मृतकों में सबसे ज्यादा बाइक सवार
जान गंवाने वाले लोगों में लगभग एक तिहाई लोग बाइक सवार थे। इसकी वजह मृतकों के सिर पर हेलमेट न होना माना जाता है। हाल ही में अभिभाषक दिलीप राजपूत के पिता एवं रिटायर्ड पुलिस अधिकारी महेन्द्र सिंह राजपूत को एबी रोड पर एक वाहन चालक टक्कर मार कर उनकी जान लील चुका है।
उस वाहन का पुलिस अभी तक कोई सुराग नहीं लगा पाई है। फोरलेन से बड़े और भारी वाहनों की स्पीड में तो इजाफा हुआ ही है। बाइक सवार भी अपनी गति नियंत्रण में नहीं रख पाते हैं। परिणाम ये होता है कि जरा सी चूक हादसे का कारण बन रही है।