उल्लेखनीय है कि जिले में इस समय कुल 22 वाहन चल रहे हैं जिनमें से 12 संजीवनी 108 एंबुलेंस हैं जबकि 10 जननी एक्सप्रेस वाहन हैं। इन सभी वाहनों का संचालन भोपाल में बनाए गए कंट्रोल रूम से हो रहा है। जिसका टोल फ्री नंबर 108 दिया गया है।
मरीजों की परेशानी उनकी जुबानी
प्रसूता साइना ने बताया कि उन्हें जिला अस्पताल की मेटरनिटी विंग से डिस्चार्ज तो सुबह ही कर दिया गया था। जिसके बाद हमने 108 पर एक बार नहीं बल्कि 5 बार लगाया लेकिन हर बार इंतजार करने के लिए कहा गया। इस तरह इंतजार करते करते 3 घंटे से ज्यादा समय हो गया। हमें कुंभराज के बड़ौद गांव जाना था। ग्राम मानपुर निवासी रीना धाकड़ ने बताया कि उसकी डिलेवरी तो बमोरी हुई थी लेकिन बच्चे की तबियत खराब होने पर गुना अस्पताल रैफर कर दिया था। यहां जांच उपरांत बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद हमने 11 बजे 108 पर फोन लगाया। फिर एक घंटे बाद फोन लगाया तो इंतजार करने के लिए कहा गया। इस तरह अस्पताल में इंतजार करते करते करीब 5 घंटे गुजर गए लेकिन कोई वाहन नहीं आया। इसी तरह रिंकी धाकड़ ने भी बताया कि उन्हें 17 किमी दूर ग्राम देवपुर जाना जाना था लेकिन सुबह 10 से दोपहर के 2 बज गए लेकिन कोई वाहन नहीं आया।
वाहनों का नहीं हो पा रहा मेंटीनेंस
108 एंबुलेंस के जिला प्रभारी के मुताबिक जिला अस्पताल में 2 जबकि रीजनल के प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक एंबुलेंस है। ऐसी स्थिति में वाहनों का मेंटीनेंस नहीं हो पा रहा है। कई वाहन ऐसे हैं जिनका मेंटीनेंस कई महीनों से नहीं हुआ है। किसी वाहन का गेट ठीक से नहीं लग रहा तो किसी का विंडो शीशा। वाहन की ऐसी स्थिति होने पर न सिर्फ स्टाफ बल्कि मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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पहले नही आती थी परेशानी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इससे पहले जिले में 48 एंबुलेंस चलती थी तब किसी को परेशानी नहीं आती थी। लेकिन एकाएक गाडिय़ों की यह संख्या घट गई। बताया जाता है कि इसका प्रमुख कारण गाडिय़ों में जीपीआरएस लगाने का आदेश रहा। क्योंकि जीपीआरएस लगने के बाद बड़े स्तर पर गड़बडिय़ां रुक गईं और गाडिय़ों की संख्या 48 से घटकर 22 रह गई।
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मरीजों को यह भी आ रही परेशानी
108 एंबुलेंस व जननी वाहनों को ऑपरेट करने के लिए सरकार द्वारा भोपाल में कंट्रोल रूम बनाया गया है। जिसका हेल्प लाइन टोल फ्री नंबर 108 रखा गया है। जो किसी भी नेटवर्क से तो लग जाता है लेकिन जियो नेटवर्क से नहीं लगता। जबकि इस समय लगभग हर व्यक्ति जियो की सिम चला रहा है और जरुरत के समय 108 का उपयोग नहीं कर पा रह है।
जरा इनकी भी सुनें
मुझे सीएमएचओ का चार्ज लिए अभी कुछ ही समय हुआ है। इसलिए जिले में इस समय कितनी 108 एंबुलेंस व जननी वाहन चल रहे हैं इसकी ठीक जानकारी नहीं है। जहां तक जरुरतमंदों को समय पर वाहन की सुविधा न मिलने का सवाल है तो क्योंकि यह पूरी व्यवस्था भोपाल से संचालित है इसलिए परेशानी आ रही है। यदि यह व्यवस्था हमारे हाथ में होती तो परेशानी नहीं आती। वाहनों की कमी की वजह से यह समस्या नहीं है।
डॉ पी बुनकर, सीएमएचओ
जिला अस्पताल गुना
जिले में इस समय कुल 22 वाहन हैं जिनमें से 12 संजीवनी 108 तथा 10 जननी एक्सप्रेस वाहन हैं। जिले में इस वक्त नंबर ऑफ केसेस की संख्या ज्यादा है उसकी तुलना में वाहन की संख्या कम हैं। इसलिए इस तरह की परेशानी आ रही है। फिर भी अभी जो व्यवस्था है उसके अनुरूप 10 जननी वाहन प्रसूताओं को अस्पताल में पहुंचाने तथा घर छोडऩे का काम करते हैं। संजीवनी 108 एंबुलेंस इमरजेंसी के लिए होती है। दुर्घटना के अलावा यदि प्रसूता से संबंधित क्रिटीकल मामला है तो भोपाल स्थित कंट्रोल रूम के जरिए 108 वाहन भी भेजा जाता है।
शिव उपाध्याय, प्रभारी (108 एंबुलेंस) चिकित्सा हेल्थ केयर गुना