गुना। शहर से लेकर ब्लाकों में संचालित सरकारी 119 हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में से 20 प्रतिशत स्कूलों में भी स्थायी प्राचार्य नहीं है। शिक्षा का माडल बनाने शुरू किए माडल स्कूलों में से एक में भी प्राचार्य नहीं है और पांच उत्कृष्ट स्कूलों में से मीन स्कूल प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे हैं। शासकीय हासे स्कूल डोंगर 31 अगस्त को खाली हो जाएगी।
यहां पदस्थ प्राचार्य नरेंद्र उपाध्याय 31 अगस्त को सेवानिवृत्व हो रहे हैं। उनके पास डाइट बजरंगगढ़ का भी अतिरिक्त चार्ज था। स्थायी प्राचार्यों के स्थान पर 80 प्रतिशत स्कूल प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे चल रहे हैं। इस कारण स्कूलों में पढ़ाई, प्रबंधन, गतिविधियां और व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र में संचालित स्कूलों में भी सबसे ज्यादा दिक्कत होती है।
डीपीसी, योजना, डाइट सभी प्रभारी भरोसे
गुना जिला मुख्यालय पर जिला शिक्षा केंद्र में डीपीसी का पद प्रभारी के हवाले किया है। यहां योजना अधिकारी और सहायक संचालक के पद भी काफी दिनों से खाली चल रहे हैं। जिला मुख्यालय पर उत्कृष्ट स्कूल के प्राचार्य का पद भी प्रभारी के हवाले हैं। इसके अलावा आरोन, चांचौड़ा के उत्कृष्ट स्कूल में स्थायी प्राचार्य नहीं हैं। इस कारण काम प्रभावित होता है। माडल स्कूलों में भी प्राचार्य नहीं है। 119 स्कूलों में 99 स्कूल स्थायी प्राचार्य विहीन हैं। इसी तरह की स्थिति मिडिल स्कूलों की हैं।
ये काम होतें हैं प्रभावित
प्रभारी प्राचार्य होने की वजह से सबसे ज्यादा काम पढ़ाई का प्रभावित होता है। स्कूल में पदस्थ स्टाफ में से ही कोई सीनियर प्रभारी बनता है, इस कारण वह शिक्षक खुद नहीं पढ़ा पाता है, उसे दूसरे कामों में लगा रहना पड़ता है। इसके अलावा दूसरे स्टाफ सदस्यों से काम लेने में दिक्कत होती है, क्योंकि यह पद कोई स्थायी नहीं है।
सख्ती करने पर आपसी मनमुटाव हो जाता है और आने वाले समय में उन्हें भी प्रभारी के नीचे काम करना पड़ सकता है। इस कारण वह सख्ती करने से बचता है। इसके स्कूलों में बेहतर प्रबंधन नहीं हो पाता है। दूसरी गतिविधियों भी आसानी से नहीं हो पाती है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अधिकारियों का कहना है कि स्थायी प्रभारी प्राचार्य की वजह से कई गतिविधियां समय पर नहीं हो पाती हैं। उधर, उत्कृष्ट स्कूल गुना में नियमित गतिविधि होने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।