वार्ड में सफाई व्यवस्था की बेहद दयनीय हालत है। मोहल्ले की गलियां देखने पर गांव जैसे हालात नजर आते हैं। जहां न तो सड़क है और न ही जल निकासी के लिए नालियां। वार्ड में पिछले 30 साल से रह रहे लोहपीटा परिवार के पास तो पेयजल के इंतजाम तक नहीं हैं। कुल मिलाकर इस वार्ड में रहने वाले अधिकांश नागरिक सरकार की जनहितैषी योनजाओं से वंचित बने हुए हंंै।
जानकारी के मुताबिक सरकार शहर व गांव को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाने के लिए स्वच्छत भारत अभियान के तहत करोड़ों रुपए का बजट खर्च कर रही है। लेनिक स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के उदासीन रवैए के कारण इन योजनाओं का लाभ जरुरतमंद को नहीं मिल पा रहा है।
जिसका एक उदाहरण है दीनदयाल वार्ड, जो शहर के वार्ड क्रमांक एक अंतर्गत आता है। इस वार्ड में सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत यहां के पहुंचमार्ग से ही पता चल जाती है।