पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट : कोरोना वायरस के खौफ से बेफिक्र नजर आए पिपरियावासी
मास्क व सेनिटाइजर नहीं फिर भी रख रहे पूर्ण सुरक्षा का ख्यालगांव में पसरा सन्नाटा, फसल कटवाने में व्यस्त ग्रामीणनहीं मिल रहे मजदूर, हार्वेस्टर ही एक मात्र सहाराखरीदी शुरू न होने से किसानों के समक्ष फसल को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती
पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट : कोरोना वायरस के खौफ से बेफिक्र नजर आए पिपरियावासी
गुना. देश सहित प्रदेश में हर दिन बढ़ती जा रही कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए जहां शहरवासियों में खौफ नजर आ रहा है। वहीं ग्रामीण अंचल में कोरोना के खौफ का ज्यादा असर नहीं है। लेकिन फिर भी ग्रामीण कोरोना से बचाव को लेकर काफी सजग नजर आए। उनके पास भले ही मास्क नहीं हैं लेकिन फिर भी वह रुमाल, तौलिया से मुंह को ढंककर रखते हैं। यही नहीं ग्रामीणों में सोशल डिस्टेंसिंग की जानकारी भी दिखी। ग्रामीणों ने बताया कि उनके पास भले ही सेनिटाइजर उपलब्ध नहीं है फिर भी वह साबुन से समय-समय पर हाथ धोते रहते हैं। यह सावधानी फसल कटाई के दौरान भी रखी जा रही है।
कोरोना वायरस के संक्रमण से जनता को बचाने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 21 दिन के लॉक डाउन का असर ग्रामीण जनजीवन पर किस तरह पड़ रहा है। यह जमीनी हकीकत जानने के लिए पत्रिका टीम गुरुवार दोपहर ढाई बजे गुना तहसील के ग्राम पिपरिया पहुंची। गांव से पहले दो किमी दूर खेतों पर फसल कटाई का नजारा दिखा। खास बात यह है कि कुछ खेतों में गेहूं की फसल खड़ी हुई थी तो वहीं कुछ खेतों में हार्वेस्टर द्वारा गेहूं की कटाई जारी थी। लेकिन किसी भी खेत पर मजदूर समूह के रूप में फसल काटते नहीं दिखे। मौके पर मौजूद किसानों ने बताया कि इस समय कोरोना वायरस से बचाने के लिए लगाया गए प्रतिबंध की वजह से मजदूर समूह के रूप में नहीं जा पा रहे हंै। इसलिए उन्हें हार्वेस्टर से ही फसल कटवाना पड़ रही है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती कटाई के बाद फसल को सुरक्षित रखना है। क्योंकि इस समय लॉक डाउन की वजह से उपज खरीदी स्थगित कर दी गई है। यह कब तक शुरू हो पाएगी यह कह पाना भी मुश्किल है। ऐसे में किसानों को दोहरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है एक फसल को सुरक्षित रखने पर्याप्त जगह नहीं है। वहीं दूसरी किसानों के समक्ष नकद रुपए की कमी है जिससे उसे जरूरी सामान खरीदने व मजदूरों को भुगतान करने में परेशानी आ रही है।
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भू-जल स्तर गिरने से हैंडपंपों ने तोड़ा दम
ग्राम पंचायत पिपरियावासियों के लिए पेयजल स्त्रोत का एक मात्र माध्यम हैंडपंप व ट्यूबवैल हैें। गांव की अधिकांश आबादी हैंडपंपों पर निर्भर है लेकिन भू-जल स्तर नीचे जाने के कारण आधा दर्जन हैंडपंप पहले ही दम तोड़ चुके हैं। सरकारी स्कूल व पंचायत भवन के पास लगा हैंडपंप बंद पड़ा हुआ है। कुछ बड़े किसानों ने अपने घरों में लगे निजी बोर से आसपास के ग्रामीणों को कनेक्शन दिया हुआ है। वहीं शेष ग्रामीणों को अपने घर से काफी दूर स्थित हैंडपंप से पानी ढोना पड़ रहा है।
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