पैदल निकलना भी बहुत मुश्किल
जानकारी के मुताबिक स्थानीय रेलवे स्टेशन के नजदीक से होकर ग्राम मुहालपुर की ओर जाने वाला मार्ग बीते कई माह से बेहद जर्जर हालत में है। स्थिति यह है कि इस मार्ग पर इतने गड्ढे व ऊबड़ खाबड़ स्थिति है कि दो व चार पहिया वाहन तो क्या पैदल निकलना भी बहुत मुश्किल होता है। इस मार्ग पर एक और सबसे बड़ी परेशानी रेलवे अंडर ब्रिज है, जो बारिश के मौसम में तालाब में तब्दील हो जाता है। क्योंकि रेलवे इंजीनियरों ने निर्माण के समय जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की। जिसका खामियाजा आधा दर्जन कालोनी के हजारों लोग आज तक भुगतने को मजबूर हैं।
काम को अधूरा छोड़ दिया
यहां बता दें कि बीते तीन माह पहले गुना में भोपाल से रेलवे के आला अधिकारियों का पूर्व निर्धारित भ्रमण कार्यक्रम था। इसीलिए स्थानीय अधिकारियों ने उनके समक्ष वाह वाही लूटने उक्त मार्ग का निर्माण कार्य शुरू करा दिया। जिसके तहत रेलवे के अनुपयोगी स्लीपर को मार्ग में बिछाकर उन पर सीमेंट किया जाना था
लेकिन आला अधिकारियों के मुंंह फेरते ही काम को अधूरा छोड़ दिया। यानि कि मार्ग के कुछ हिस्से में स्लीपर तो बिछा दिए लेकिन ऊपर से सीमेंट नहीं किया गया। जिससे वाहन निकालने के दौरान चालकों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं मार्ग के कुछ हिस्से में गिट्टी फैली हुई है, जिससे वाहन चालक गिरकर घायल हो रहे हैं।
इसलिए यह मार्ग है महत्वपूर्ण
रेलवे अंडर ब्रिज से होकर ग्राम मुहालपुर जाने वाला मार्ग बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस मार्ग से श्रीराम कालोनी, रसीद कालोनी बांसखेड़ी, साईं सिटी कोलोनी, ग्राम बांसखड़ी सहित अन्य कालोनी में रहने वाले लोगों को गुना तक आने जाने का यही एक मात्र रास्ता है। जहां से उन्हें अस्पताल, स्कूल, कॉलेज से लेकर बाजार में खरीदारी करने जाना होता है। लेकिन मार्ग की बेहद जर्जर हालत के कारण ऑटो चालक व एंबुलेंस तक इन इलाकों में नहीं पहुंच पाती है।
मेरी बच्ची जिस स्कूल में पढ़ती है वह रेलवे अंडर ब्रिज के उस पार है। प्रतिदिन उसे लेने व छोडऩे जाना पड़ता है। बेहद जर्जर मार्ग की वजह से हमेशा डर लगा रहता है कि बाइक फिसल न जाए।
रामकुमार रजक, श्रीराम कालोनी
मैं शरीर से विकलांग हूं। ट्राइसिकिल से ही मुझे अपने घर से बाजार में जाना पड़ता है। लेकिन रेलवे के तकनीकी अधिकारी स्लीपर को बिछाने के बाद सीमेंट करना भूल गए। वर्तमान में मार्ग की जो स्थिति है उस पर वाहन चालाना खतरे से खाली नहीं है।
जगराम यादव, बांसखेड़ी