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‘आए दिन आएंगे अविश्वास प्रस्ताव और कुर्सी बचाने में लगे रहेंगे नपा अध्यक्ष’

नगरीय निकाय: नपा के अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्षों बोले महंगा हो जाएगा नगरीय निकाय का चुनाव, जानिये क्यों?…

गुनाOct 02, 2019 / 11:20 am

दीपेश तिवारी

'आए दिन आएंगे अविश्वास प्रस्ताव और कुर्सी बचाने में लगे रहेंगे नपा अध्यक्ष'

‘आए दिन आएंगे अविश्वास प्रस्ताव और कुर्सी बचाने में लगे रहेंगे नपा अध्यक्ष’

गुना। नगरीय निकायों में पार्षदों की मजबूती के लिए कैबिनेट ने एक ओर जहां अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का कदम उठाया है। वहीं दूसरी ओर इस प्रणाली के तहत चुने अध्यक्ष पर दबाव और अविश्वास प्रस्ताव आने की आशंकाएं लोग जताने लगे हैं।
पत्रिका ने सोमवार को नगर पालिका अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्षों से चर्चा की तो अध्यक्षों ने अपनी कार्यकाल के अनुभव भी साझा किए। उन्होंने कहा, अप्रत्यक्ष प्रणाली से पार्षद मजबूत हो जाएंगे और अध्यक्ष पर दबाव भी बना रहेगा। लेकिन कुर्सी से हटाने के लिए सौदेबाजी भी हावी रहेगी और भ्रष्टाचार बढऩे की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।
नपा के पूर्व अध्यक्षों से जब प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रणाली में से बेहतर प्रणाली के बारे में जाना तो अधिकांश प्रत्यक्ष प्रणाली के पक्ष में रहे। उनका मानना है कि प्रत्यक्ष प्रणाली में अध्यक्ष को पूरा शहर चुनता है और जनता की भागीदारी रहती है।
इससे उसकी जबावदेही भी पूरे शहर के प्रति रहती है। अप्रत्यक्ष प्रणाली में दोनों तरह के पार्षद शामिल रहेंगे, अध्यक्ष को बनाने वाले और हराने वाले। ऐसे में अध्यक्ष और पार्षदों के बीच आपसी द्वंद्व भी बढ़ सकते हैं। इससे शहर के विकास पर प्रभाव पड़ सकता है।
सोनी को हटना पड़ा था बीच में
गुना नपा में ही एक बार अध्यक्ष को बीच में अपना पद छोडऩा पड़ा था। उनको उस कांग्रेस की गुटबाजी की चलते उनको पद छोडऩा पड़ा। उस समय कांग्रेस से रतन सोनी अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष चुने गए थे।
लेकिन पार्टी का अंदरूनी विवाद इतना बढ़ा कि उनको इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद नेमीचंद जैन एड्वोकेट को अध्यक्ष बनाया गया था।

'आए दिन आएंगे अविश्वास प्रस्ताव और कुर्सी बचाने में लगे रहेंगे नपा अध्यक्ष'
जानिये कौन क्या बोला…
अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव महंगा होगा। विकास की गति थम जाएगी। पार्षद सौदबाजी करेंगे। इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा। अध्यक्ष काम के बजाय, अपनी कुर्सी बचाने में लगा रहेगा। जनहित के लिए अध्यक्ष को सीधे चुना जाना चाहिए। इससे उनकी जबावदेही भी जनता के लिए प्रति रहेगी।
– सूर्य प्रकाश तिवारी, पूर्व अध्यक्ष
अध्यक्ष का चुनाव जनता द्वारा किया जाना चाहिए। चुनाव भी वहीं बेहतर होता है, जिसे जनता चुनती है। अप्रत्यक्ष प्रणाली में लोग पार्षदों को जोडऩे और तोडऩे प्रलोभन देंगे। इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा। ऐसे तो राजनीतिक में स्वच्छता की प्रदूषण आ जाएगा।
– त्रिवेणी निर्मल सोनी, पूर्व अध्यक्ष
अप्रत्यक्ष प्रणाली में अध्यक्ष का चुनाव पार्षद मिलकर करते हैं। इससे पार्षदों की सुनवाई होगी। शहर में वार्डों के जरिए ही विकास होता है। जब पार्षद अध्यक्ष चुनेंगे तो वह काम भी करा जाएंगे। सरकार ने जो निर्णय लिया है। पूर्व में भी अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होते रहे हैं।
– देवेंद्र गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष
प्रत्यक्ष प्रणाली में जनता नेता चुनती है। जबकि अप्रत्यक्ष में पार्षद अध्यक्ष चुनेंगे। इस प्रणाली से अध्यक्ष को हटाने के अविश्वास प्रस्तावों की बाढ़ सी आ जाएगी। इससे काम नहीं होगा। भ्रष्टाचार बढ़ेगा। जिला पंचायत के चुनाव भी डायरेक्ट होना चाहिए।
– राजेंद्र सलूजा, अध्यक्ष नपा गुना
मैं अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए चुनाव में चुनकर आई थी। उस समय जो पार्षदों को सम्मान मिला, वह डायरेक्ट चुने हुए अध्यक्षों के कार्यकाल में नहीं मिला। शासन ने जो निर्णय लिया है, वह स्वागत योग्य है। इससे अध्यक्षों की हिटलरशाही पर अंकुश लग सकेगा।
– उषा हरि विजयवर्गीय, पूर्व अध्यक्ष
वार्डों के विकास ही असल में शहर का विकास होता है। अप्रत्यक्ष प्रणाली में पार्षदों को पावर रहता है, इससे वे अपने वार्डों में काम करा सकेंगे। वर्तमान में उनकी सुनवाई नहीं हो पाती है। सरकार ने निर्णय लिया है, वह स्वागत करने योग्य है।
– रतन सोनी, पूर्व अध्यक्ष

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