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जाटपुरा माध्यमिक विद्यालय : स्कूल के प्रवेश द्वार पर ही गंदगी पड़ी हुई थी। ***** स्वच्छंद विचरण करते हुए कचरे को इधर-उधर फैला रहे थे। स्कूल परिसर के अंदर बारिश के पानी का जमाव मिला। पेवर्स टाइल्स उखड़ी हुई थी। जिसे हाल ही में लगाया गया है। टॉयलेट के पास एक टंकी रखी हुई थी, जिसे काफी पुराना पानी भरा मिला। यह स्थिति बच्चों को बीमार बना सकती है। प्राथमिक विद्यालय के भवन की हालत जर्जर नजर आई। जिसका निर्माण ज्यादा पुराना नहीं है। भवन के फस्र्ट फ्लोर पर पहुंचाने वाली सीढिय़ां काफी जर्जर थीं। जिसकी दीवारों में काफी गहरी दरार साफ नजर आ रही थी। देखने से साफ प्रतीत हो रहा था कि यह सीढिय़ां कभी भी गिर सकती हैं। इसकी आशंका वहां के स्टाफ ने भी जताई। बच्चों को हाथ धोने के लिए जो स्टैंड बना था उसकी सभी टोंटियां टूटी थीं। टॉयलेट का गेट भी टूटा नजर आया। परिसर में नवनिर्मित उत्कृष्ट छात्रावास के अंदर बड़ी संख्या में कुत्ते सोते हुए नजर आए।
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नानाखेड़ी प्राथमिक विद्यालय : स्कूल के मेन गेट के बाहर ही बड़ी मात्रा में कचरा पड़ा हुआ था। परिसर के अंदर जो सबसे पहला भवन था उसमें असमाजिक लोग बैठे हुए थे। पड़ताल करने पर पता चला कि बाउंड्रीवॉल न बन पाने की वजह से पूरा स्टाफ परेशान हैं। कई बार बाउंड्री वॉल बनाने का प्रयास हुआ लेकिन आसपास रहने वाले अतिक्रामकों के हिंसक रवैए के कारण आज तक बाउंड्री वॉल नहीं बन सकी है। गौर करने वाली बात है कि पौने तीन बीघा का प्रांगण वाला यह ऐसा अकेला स्कूल है, जहां आज तक एक भी पौधा नहीं लगाया जा सका है। स्कूल प्रबंधन ने बताया कि विवादित रास्ते को लेकर वह न्यायालय से केस भी जीत चुके हैं लेकिन प्रशासन ने अब तक बाउंड्रीवॉल बनवाने का काम शुरू नहीं किसा है। स्कूल भवन के ठीक पीछे अतिक्रामकों द्वारा घरों से निकले गंदे पानी का जमाव किया जा रहा है। जिससे मच्छर व गंदगी पनप रही है। जो बच्चों को बीमार कर सकती है। बच्चों के लिए हैंड वॉश की व्यवस्था नहीं मिली। बताया गया है कि स्कूल के मेन गेट पर जो मंदिर है, वहां बैंक द्वारा दान दिया गया आरओ लगा है, वहीं बच्चे पानी पीने और हाथ धोने जाते हैं।
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स्कूलों के आसपास फोगिंग व कक्षों मेंं कीटनाशक का छिड़काव हो
पत्रिका पड़ताल में सामने आया है कि सरकारी हो या प्राइवेट स्कूल प्रबंधन, सभी मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंस बनाए रखने पर तो अधिक जोर दे रहे हैं लेकिन बच्चों को मच्छरों से बचाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं कर रहे हैं। यह लापरवाही बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती है। क्योंकि जिले में वायरल फीवर, मलेरिया, डेंगू का प्रकोप पहले से ही चल रहा है। काफी समय बंद पड़े कक्षों क्लासेस लगना शुरू हो गई हैँ, जहां ठीक से सफाई नहीं की गई है। यहां बता दें कि जिले की नगरीय निकाय नागरिकों से शिक्षा उपकर के रूप में टैक्स वसूलती हैं। जिसके बदले में नपा को स्कूलों में जरूरत के हिसाब से सुविधा दी जानी होती है। इस हिसाब से नपा को स्कूलों के आसपास फोगिंग तथा कक्षों में कीटनाशक का छिड़काव किया जाना चाहिए ताकि बच्चों को मच्छरों से निजात मिल सके।