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गुडगाँव

कैसे बने मनोहारी बजट, सीएम की सबसे बड़ी चिंता

बजट से पहले कर रहे विपक्ष से मंथन आमदनी और खर्च में संतुलन बड़ा चैलेंज

गुडगाँवFeb 20, 2020 / 01:02 am

Devkumar Singodiya

कैसे बने मनोहारी बजट, सीएम की सबसे बड़ी चिंता

कैसे बने मनोहारी बजट, सीएम की सबसे बड़ी चिंता

चंडीगढ़. हरियाणा के बजट का एक तिहाई हिस्सा तो कर्ज और उसका ब्याज चुकाने में ही चला जाएगा। मनोहर सरकार के पिछले कार्यकाल का अंतिम बजट 1.32 लाख करोड़ रुपए का था, जबकि प्रदेश पर 1.53 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। इसे चुकाने में कुल बजट के 20257.15 करोड़ रुपए यानी 27.91 प्रतिशत राशि चली जाएगी। अब इसमें संतुलन कैसे साधा जाए, सरकार की यह सबसे बड़ी चिंता है।

इस बार वित्त विभाग सीएम मनोहर लाल के पास है। इसलिए वह ऐसा बजट प्रस्तुत करना चाह रहे हैं, जिसमें आम आदमी के साथ साथ विपक्ष को भी खुश कर पाए। इसी को लेकर उन्होंने मंथन भी शुरू कर रखा है। हालांकि इनेलो प्रमुख अभय सिंह चौटाला ने कहा कि बजट पूर्व चर्चा मात्र दिखावा भर है। अब जब बजट छप भी गया है, ऐसे में सीएम साबित क्या करना चाह रहे हैं।

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बजट से कोई उम्मीद नहीं है। इस सरकार में बोला कुछ जाता है, किया कुछ जा रहा है। सरकार की कोई नीति नहीं है। न रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं न उद्योगों की ओर ध्यान दिया जा रहा है। विकास की बात करें तो सीएम मनोहर लाल के विधानसभा क्षेत्र करनाल के हालात देख लिजिए, पता चल जाएगा कि कैसे विकास हो रहा है?
जानकारों का कहना है कि इस बार के बजट में जहां उद्योग के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए, वहीं कृषि क्षेत्र के लिए भी नई सोच से काम करना होगा।

अर्थशास्त्री डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि बजट में सबसे पहले तो सरकार को आमदनी बढ़ाने वाले उपायों पर काम करना होगा। क्योंकि कर्ज लेकर काम करने से प्रदेश का भला नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि क्षेत्र की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। क्योंकि इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था जुड़ी हुई है। जब तक गांव और किसान मजबूत नहीं होगा तब तक प्रदेश विकास नहीं कर सकता।

उद्योगों को भी चाहिए राहत

यमुनानगर का प्लाई उद्योग, कैथल, करनाल, पानीपत और कुरूक्षेत्र का राइस उद्योग सरकार से बड़ी राहत की मांग कर रहा है। चावल उद्योग इस वक्त भारी मंदी के दौर से गुजर रहा है, इसी तरह से प्लाइवुड उद्योग में भी बड़ी मंदी है। आल इंडिया प्लाइवुड एसोसिएशन के प्रधान देवेंद्र चावला ने बताया कि उन्हें सबसे बड़ी राहत तो यह चाहिए कि लकड़ी को टैक्स मुक्त किया जाए।


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