कोरोना के बहाने रोका पानी
भूटान पानी नहीं छोड़ जाने के लिए कोरोना से बचाव का बहाना ले रहा है। दरअसल हर साल इस सीजन में भारत के किसान भारत-भूटान सीमा पर समद्रूप जोंगखार इलाके में जाते हैं और काला नदी के पानी को अपने खेतों में लाकर सिंचाई करते हैं। इस साल कोरोना वायरस के चलते भूटान ने भारतीय किसानों को एंट्री देने से इनकार कर दिया है। हालांकि किसानों का कहना है कि जब सभी तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल फॉलो किए जा रहे हैं तो सिंचाई में क्या समस्या है। फिलहाल अभी इस मामले पर राज्य और केंद्र सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
1953 से मिल रहा है पानी
भूटान के पानी रोके जाने से बक्सा के किसान परेशान हैं। पानी रोके जाने के विरोध में किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 1953 के बाद से ही स्थानीय किसान अपने धानों के खेतों की सिंचाई भूटान से निकलने वाली नदियों के पानी से करते रहे हैं। भूटान ने पानी रोके जाने से पूर्व भारत को इसकी कोई सूचना तक नहीं दी और ना ही कोई तथ्यात्मक कारण बताया है। बक्सा जिले के 26 से ज्यादा गांवों के करीब 6000 किसान सिंचाई के लिए भूटान की डोंग परियोजना से मिलने वाले पानी से सिंचाई करते हैं। इसी पर इनकी आजीविका निर्भर है।
किसान कर रहे हैं प्रदर्शन
पिछले दो-तीन दिनों से बक्सा के किसान और तमाम सिविल सोसायटी संगठन भूटान द्वारा पानी बंद किए जाने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कई घंटों तक रोंगिया-भूटान सड़क को भी जाम रखा। किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार भूटान के सामने इस मुद्दे को उठाए और इस समस्या का कोई समाधान निकाले। किसानों की दलील यदि शीघ्र ही सिंचाई के पानी नहीं छोड़ा गया तो इससे खेती को काफी नुकसान होगा।