विधानसभा के प्रश्नोत्तरकाल के दौरान एआईयूडीएफ के विधायक अमीनुल इस्लाम के पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृह विभाग की ओर से जवाब देते हुए राज्य के संसदीय मंत्री चंद्रमोहन पटवारी ने कहा कि एनआरसी का पूरा कामकाज सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हो रहा है। राज्य समन्वयक ने बंद लिफाफे में मॉडलिटी सौंपी है। राज्य सरकार चाहती है कि एनआरसी से जुड़े मसले उसके साथ बांटे जाएं। हम भी उसका हिस्सा बनें। कानून व्यवस्था का मसला राज्य का मसला है। पूरा मामला संवेदनशील है।
उन्होंने कांग्रेस के विधायकों के उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 23 अक्तूबर को अगली सुनवाई होगी। ऐसे में कांग्रेस के दिग्गज वकील कपिल सिब्बल भी होंगे। हम सभी को एक साथ मिलकर लड़ना चाहिए। कांग्रेस के विधायक कमलाक्ष्य देव पुरकायस्थ ने कहा कि सरकार को समन्वयक प्रतीक हाजेला के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। मंत्री पटवारी ने कहा कि हाजेला की नियुक्ति कांग्रेस शासन में हुई है। इस पर सदन में कुछ देर के लिए शोर-शराबा हुआ। कांग्रेस के विधायक अब्दुल खालेक ने सुझाव दिया कि हम एक प्रस्ताव लाकर हाजेला को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
एआईयूडीएफ के विधायक अमीनुल इस्लाम ने सवाल किया कि जब एनआरसी में लोगों की भारतीय नागरिकता को देखा जा रहा है, तब विदेशी न्यायाधिकरण लोगों को नोटिस क्यों थमा रहा है? दोनों चीजें एक साथ कैसे चल सकती हैं। इस पर मंत्री पटवारी ने स्पष्ट किया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दो हलफनामे दायर किये। इनमें हटाए गए पांच दस्तावेज रखे जाने की बात कही गई थी। सरकार यह स्पष्ट कर देना चाहती है कि एनआरसी से किसी भारतीय का नाम नहीं छूटेगा और कोई विदेशी का नाम शामिल नहीं होगा। इस दौरान किसी को नए सिरे से नोटिस न थमाया जाए, इसके लिए मुख्यमंत्री ने गृह विभाग को निर्देश दिया।
गृह विभाग ने सभी जिला उपायुक्त और पुलिस अधीक्षकों को संदेश भेजकर केंद्रीय गृहमंत्रालय के निर्देशानुसार नये सिरे से किसी को नोटिस न देने और न ही कार्रवाई करने का निर्देश दिया। वहीं कांग्रेस के विधायक नुरुल हुदा ने कहा कि विदेशी न्यायाधिकरण के सदस्यों की सर्विस रूल नहीं है। इसलिए वे अपने इच्छानुसार काम कर रहे हैं। एक ही व्यक्ति को ट्रिब्यूनल बार-बार नोटिस भेज रहा है। इस तरह परेशान किया जा रहा है। इस पर पटवारी का जवाब था कि यह एक मामला है। सरकार को तथ्य देने से हम इस पर जांच कर कदम उठाएंगे।