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गुवाहाटी

कहां जाएंगी 200 सेक्स वर्कर्स, NRC में नहीं हैं नाम, घर वालों ने यूं बनाई दूरी

Assam NRC: असम का यह रेड लाइट एरिया (Famous Red Light Area In India) है बहुत मश्हूर, एनआरसी (Assam NRC) के लिए आवेदन भी नहीं कर पाईं (Silchar Road No 14) यह (Sex Workers In India) सेक्स वर्कर्स, पीड़ा बताते हुए (Sex Workers Life) सेक्स वर्कर्स के आंसू छलक गए…

गुवाहाटीSep 18, 2019 / 06:09 pm

Prateek

Assam NRC

कहां जाएंगी 200 सेक्स वर्कर्स, NRC में नहीं हैं नाम, घर वालों ने यूं बनाई दूरी

(गुवाहाटी,राजीव कुमार): राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) में असम के सिलचर की 200 सेक्स वर्करों का नाम नहीं है। ज्यादातर सेक्स कर्मी इसलिए एनआरसी के लिए आवेदन नहीं कर पाई क्योंकि इनके परिवार वालों ने इन्हें अपने कागजात इस्तेमाल करने नहीं दिए। पीड़ा बताते हुए सेक्स वर्कर्स के आंसू छलक गए…

 

मानव तस्करी का हुई शिकार…

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प्रतीकात्मक फोटो IMAGE CREDIT:

प्रेमतला में सिलचर का रेड लाइट इलाका है। इसे चौदह नबंर गली के रुप में भी जाना जाता है।चौदह नबंर गली पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा वेश्यालय है। यहां एक हजार से अधिक सेक्स वर्कर रहती हैं। इनमें से ज्यादातर मानव तस्करी का शिकार होकर यहां तक पहुंची है।

 

नहीं है कोई भी वैध कागजात

 

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एक सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि कोलकाता के सोनागाछी की तरह सिलचर के रेडलाइट इलाके की सेक्स वर्करों के पास न तो मतदाता परिचय पत्र है और न ही आधार कार्ड। गैर सरकारी संगठन और महिला वकील सेक्स वर्करों को भारतीय नागरिक साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जिला कानून सेवा प्राधिकरण के सदस्य तुहिना शर्मा ने कहा कि सेक्स वर्कर भी समाज का हिस्सा है। उन्हें भी भारतीय नागरिक होने का पूरा अधिकार है। यह खेद का विषय है कि हम उन्हें शान के साथ स्वीकार नहीं करते। हम रेडलाइट इलाके में एड्स कंट्रोल कार्यक्रम और निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाने के लिए अक्सर जाते हैं। शर्मा ने कहा कि वर्ष 2017 में हमने सेक्स वर्करों को मतदाता सूची में शामिल कराने का प्रयास किया था। लेकिन इनके पास निजी कोई कागजात नहीं है।


गली सरकारी, कोई नहीं मालिक…

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प्रतीकात्मक फोटो IMAGE CREDIT:

चौदह नबंर गली सिलचर म्युनिसिपल बोर्ड की है। लेकिन वेश्यालय का कोई मालिक नहीं। इसलिए इन्हें काम करने वाली जगह से कोई कागजात नहीं मिल पाते हैं। सिलचर में काम करने वाले सामाजिक सांस्कृतिक संगठन आश्वास के सदस्यों का कहना है कि पिछले पांच सालों से वे सेक्स वर्करों के स्वास्थ्य को लेकर काम कर रहे हैं। उनका नाम एनआरसी में शामिल न होने से वे भी चिंतित हैं। संगठन की संस्थापक सदस्य अरुणधति गुप्ता का कहना है कि हम सभी को पता है कि हमारे शहर में एक बड़ा वेश्यालय है। लेकिन हम इस बात की अनदेखी नहीं कर सकते कि सेक्स वर्करों के अधिकारों का हनन हो। सिलचर के लोगों ने कई बार इसे बंद कराने की कोशिश की थी। हम उन्हें घृणा की नजर से नहीं देख सकते और न ही उन्हें इस स्थिति में छोड़ सकते हैं।


परिवार ने छोड़ा, कहां जाए…

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एक सेक्स वर्कर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमने चाहकर यह कार्य नहीं चुना था। हम समय के सताए हैं। अब हम बाहर नहीं निकल सकते क्योंकि समाज के लोग हमें स्वीकार नहीं करेंगे। अन्य एक ने कहा कि हम एनआरसी के लिए आवेदन करना चाहते थे, पर हमारे परिवारवालों ने जरुरी कागजात देने से मना कर दिया। वे हमें अब स्वीकार नहीं करना चाहते। हम डरे हुए हैं। हमें देश से निकाल दिया जा सकता है या फिर डिटेंशन कैंप में डाल दिया जाएगा। ज्यादातर सेक्स वर्कर नेपाल,भूटान और बांग्लादेश की बताई जाती है। मानव तस्करी के जाल में फंसने के बाद से कइयों का परिवार से संबंध भी नहीं है।

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