उन्होंने कहा कि हम भद्र लोग हैं। सदन में गाली-गलौज करने के बजाय बाहर की बैठकों में जाकर करें। आप लोग इस तरह करेंगे तो मैं सदन को स्थगित कर दूंगा। इससे क्या अच्छी चर्चा हो पाएगी। हम अच्छी चर्चा के जरिए क्यों नहीं एक उदाहरण पेश करते। मेघालय विधानसभा ने चर्चा के मामले में उदाहरण पेश किया। अध्यक्ष ने सारे आपत्तिजनक शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकालने का एलान किया।
मालूम हो कि विधायक कुर्मी ने अपने सवाल में पूछा था कि उनके विधानसभा क्षेत्र में शिक्षकों के अभाव के चलते बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। मैं मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं। इस पर शिक्षा मंत्री सिद्धार्थ भट्टाचार्य ने कहा कि उत्तर को अच्छी तरह पढ़िए। अदालत में मामला रहने के कारण हम शिक्षक नियुक्ति नहीं कर पाए थे।
24 सितबंर को अदालत ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया है। हम अब शिक्षकों की नियुक्ति को पूरा करेंगे। इस पर कुर्मी ने पूछा कि शिक्षा वर्ष कब से शुरू हुआ है, मुझे पता है, पर मैं मंत्री से जानना चाहता हूं। इस पर मंत्री गुस्से में आ गये । सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी कुर्मी पर टीका-टिप्पणियां शुरू कर दी और फिर असंसदीय भाषाओं का प्रयोग हुआ । पर अध्यक्ष ने हस्तक्षेप कर मामले को समाप्त किया ।