बता दें कि मंगलवार को मणिपुर में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आने के बाद से लोग और भी ज्यादा सतर्क हो गए हैं। उखरुल जिले के सुदूरवर्ती गांव हंगपंग और हनफन के लोगों का विचार हैं कि एक अस्थायी समय के लिए शेष क्षेत्र और समाज से कट कर रहना सही मायने में सामाजिक-दूरी हैं। दुर्गम इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का उपलब्ध नहीं होने से स्थानीय लोगों का मानना हैं कि बाहरी लोगों के प्रवेश को बंद करना ही (कोविड-19) के फैलने से रोकने का हमारे पास इसके अलावा और कोई उपाय नही हैं। गांवों में किसी भी प्रकार के वाहन और एक से अधिक व्यक्ति का पैदल चलने को प्रतिबंधित कर दिया गया हैं।
कोरोना वायरस जैसी महामारी के खिलाफ गांवों का स्वेच्छिक लॉकडाउन एक बेहतरीन सावधानीपूर्ण प्रयास और पहल हैं। गांव के निवासियों को किसी आपातकालीन जरूरत या गांव से बाहर खाने पीने की सामाग्री लेने के लिए गांव के मुखिया से अनुमति लेनी होगी। एक गांव के मुखिया का कहना हैं कि इस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए स्थानीय निवासियों के बाहर जाने और बाहरी का प्रवेश पर निगरानी रखना जरूरी हो गया हैं। गांवों के प्रवेश और बाहर जाने के रास्ते पर साइनबोर्ड लगा कर COVID -19 को लेकर सावधानी बरतने से संबन्धित संदेश लिखे हुए है। महामारी के बारे में लोगों को जागरूक करने संबंधित संदेश गांवों के भीतर और बाहर दीवारों, साइनबोर्ड पर लिखे गए हैं। एक साइनबोर्ड पर लिखा है कि परिवार को बचाकर हम दुनिया को बचा रहे हैं यही COVID-19 की रोकथाम हैं। एक अन्य साइनबोर्ड पर लिखा हुआ है कि COVID-19 रोकथाम में आना-जाना बंद।