जब युवाओं की इस टीम से उनकी इस पहल के बारे में पूछा गया तो इसके एक सदस्य जुडी बगंग ने रोचक अंदाज में बताया कि जब हमारे देश के अलग-अलग शहरों में कार्यक्रमों और त्योहारों के आयोजन के दौरान भारतीय और विदेशी कलाकारों के द्वारा सार्वजनिक स्थानों को सजाया जाता है। ऐसे में हम, हमारे अपने कस्बे को थोड़ा सजा नहीं सकते क्या। जुडी ने बताया कि हमने सेप्पा में पचा प्राथमिक विद्यालय से अपने वाल-पेंटिंग अभियान की शुरुआत की। इसी स्कूल से मैंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की है। इसके बाद इस युवा टीम ने सेप्पा कस्बे के मुख्य बाज़ार की दीवारों पर वाल-पेंटिंग की।
दिखाई अरुणाचल की प्रकृति और संस्कृति
इस टीम की वाल-पेंटिंग में अरुणाचल के स्थानीय पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और लोकसाहित्य से जुडी चीजें होती हैं। जिनमें होन्र्बिल पक्षी, मिथुन (गयाल) पशु और जनजाति संस्कृति के कई रूप शामिल थे। जुडी की यह टीम वाल-पेंटिंग के माध्यम से लोगों को स्वच्छता, और सामाजिक सजावट के प्रति जागरूकता के साथ-साथ जनोपयोगी संदेश दे रही है। इस युवा टीम की वाल-पेंटिंग से जिले के उपायुक्त गौरव सिंह राजावत काफी प्रभावित हुए। राजावत ने युवा टीम के साथ मुलाकात की और उनको प्रशासन के ‘आई लव सेप्पा’ अभियान में शामिल होने के लिए कहा। उपायुक्त इस युवा टीम की वाल-पेंटिंग को व्यक्तिगत स्तर पर प्रायोजित करते हैं। उपायुक्त के सहयोग से ‘आई लव सेप्पा’ अभियान की इस युवा टीम ने देखते-देखते ही सेप्पा कस्बे के सरकारी भवनों की दीवारों और सडक़ के किनारों की दीवारों को वाल-पेंटिंग से सजा दिया।
क्या है आई लव सेप्पा
‘आई लव सेप्पा’ अभियान उपायुक्त राजावत के दिमाग की उपज है। इस अभियान के अंतर्गत विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है। जिनमें स्वच्छता, कानून और नियम, महिला सशक्तिकरण और गर्ल-चाइल्ड, ड्रग्स निवारण, सौ-फीसदी टीकाकरण, कुपोषण विहीनता और स्कूल से जीरो ड्रॉपआउट इत्यादि शामिल हैं। राजावत ने कहा कि यद्यपि मैं अब पेंटिंग को प्रायोजित कर रहा हूं, लेकिन टीम के युवाओं को उनकी सेवा के लिए भुगतान करने में असमर्थ हूं। राजावत ने कहा कि हम कस्बे कि सभी दीवारों को पेंट करवाना चाहते हैं। इसके लिए हमने युवाओं को उनके काम के बदले में कुछ भुगतान करने के लिए कुछ प्रावधान किए हैं। दूसरी तरफ जुडी कहते हैं कि हालांकि हमारी पहल पूरी तरीके से स्वैच्छिक हैं कई बार हमें रंग और ब्रश खरीदने के लिए पैसा नही रहता हैं क्योंकि हम बेरोजगार हैं।
बन रहे युवाओं के लिए प्रेरणा
पहाडिय़ों की समाप्त होती रौनक को पुन: जीवित करने के लिए आजकल यह युवा टीम एक योजना बना रही हैं। इसके लिए टीम राज्य की राजधानी इटानगर में कुछ दीवारों पर वाल-पेंटिंग करेगी। हालांकि इस काम में एकमात्र बाधा पैसों की कमी और हर किसी से इसके लिए जरूरी सहयोग न मिलना है। सेप्पा कस्बा स्वच्छता, सुंदरता और मानवीय मूल्यों के मापदण्डों के आधार पर अरुणाचल का सबसे आदर्श कस्बा है। अब सेप्पा कस्बा अपनी इस मानवीय कला और सुंदरता को देखने के लिए पर्यटकों को आकर्षित कर रहा। सेप्पा कस्बा की कलात्मक सुंदरता और युवा की इस सृजनशील कला पूर्वोत्तर राज्यों के युवाओं के लिए एक प्रेरणा केंद्र बन गया हैं।