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गुवाहाटी

ड्रोन अब महज एक उडऩे वाला खिलौना नहीं…

ड्रोन महज अब एक उडऩे वाला खिलौने तक सीमित नहीं रह गया है। केन्द्र सरकार पूर्वोत्तर राज्यों के दुगर्म पहाड़ी इलाकों में चिकित्सा सेवाओं के लिए इसके उपयोग पर विचार कर रही है।

गुवाहाटीSep 26, 2019 / 06:29 pm

Yogendra Yogi

ड्रोन अब महज एक उडऩे वाला खिलौना नहीं...

ड्रोन अब महज एक उडऩे वाला खिलौना नहीं…

शिलांग (सुवालाल जांगु): ड्रोन (Drone ) महज अब एक उडऩे वाला खिलौने ( Toy ) तक सीमित नहीं रह गया है। ड्रोन का उपयोग सैन्य जरूरतों के अलावा घरेलू जरूरतों के लिए भी किया जा रहा है। विदेशों में ड्रोन सेवाओं का इस्तेमाल घरेलू सामान और खाद्य सामग्री पहुंचाने के लिए शुरू हो चुका है। इसी तरह केन्द्र सरकार पूर्वोत्तर राज्यों के दुगर्म पहाड़ी इलाकों में चिकित्सा सेवाओं के लिए इसके उपयोग पर विचार कर रही है। इसके लिए एक योजना बनाई गई है। इन इलाकों में किसी के बीमार होने पर दवाईयां मुहैया कराना आसान नहीं है। मौसम संबंधी आपदा और रास्तों के ऊबड़-खाबऊ होने से इन इलाकों में पहुंचना टेड़ी खीर है।

पूर्वोत्तर विकास परिषद की परियोजना
ड्रोन तकनीक प्रणाली से इन इलाकों में दवाओं की समस्या का समाधान हो सकता है। पूर्वोत्तर विकास परिषद (NEC) ड्रोन के माध्यम से जीवन-रक्षक दवाओं ( Life saving Drugs ) की आपूर्ति करने की एक योजना तैयार कर रही है। केंद्र सरकार की संस्था एनईसी पूर्वोत्तर के दुर्गम इलाकों में ड्रोन के माध्यम से जीवन-रक्षक और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने की की एक परियोजना पर काम कर रही हैं।

शिलांग (Shilong ) में होगा प्रयोग
शिलांग स्थित एनईसी में इस ड्रोन-परियोजना को लेकर एक परामर्श बैठक हुयी हैं। एनईसी योजना सलाहकार कैल्विन एच खरसिंग ने परामर्श बैठक के बाद बताया, अभी यह परियोजना प्रयोगात्मक ( Trial ) स्तर हैं और इसको पहली बार शिलांग में लागू किया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस परियोजना के प्रारम्भिक चरण के लिए आवश्यक धनराशि 10 लाख रुपये पहले ही जारी कर दिये हैं। पूर्वोत्तर में दुर्गम इलाकों में जीवन रक्षक दवाओं की पहुंचाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं।

यूनिसेफ व ऑक्फाम होगी सहयोगी
क्षेत्र में प्रशिक्षित मेडिकल कर्मी, उचित मेडिकल सुविधायें और असहज उपलब्धता जैसी कई कमियाँ हैं। ड्रोन के इस्तेमाल करने की परियोजना में स्थानीय समुदायों को शामिल किया जायेगा। स्थानीय लोग ही दुर्गम स्थानों में दवायों को पहुंचाने के मुश्किल समय में सहायक और सहारा होते हैं। इस परियोजना में यूनिसेफ़ और ऑक्सफाम भी सहयोगी हैं। इस ड्रोन-इस्तेमाल परियोजना की परामर्श बैठक में एनईसी, क्षेत्र के सोशल मेडिकल जानकार, यूनिसेफ़ ( UNICEF ) और ऑक्सफाम के तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हुए। बैठक में पूर्वोत्तर में जन स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाओं और सुविधाओं लेकर नये-नये तरीकों के इस्तेमाल पर ज़ोर देने की जरूरत पर बल दिया गया।

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