लोगों ने किया फैसले का स्वागत
शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि इस नए नियम के तहत विभाग ने शिक्षकों और अन्य कर्मियों के पहनावे पर कुछ प्रतिबंध लगाया है। स्कूल में रहते हुए इन्हें अनुशंसा किए गए ड्रेस को ही पहनने को कहा गया है। त्रिपुरा राज्य शिक्षक संघ के अध्यक्ष विमल घोष ने कहा कि राज्य सरकार का फैसला अच्छा है।शिक्षकों के लिए परिवर्तन जरुरी था। जब एक शिक्षक ड्रेस पहनकर सड़क से जा रहा होगा तो लोग उसे शिक्षक के रुप में आसानी से पहचान पाएंगे।
राजीव गांधी ने भी किया था ड्रेस कोड तय करने का प्रयास
विमल घोष ने कहा कि 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने नई शिक्षा नीति में यह निर्णय किया था कि देश के सभी शिक्षकों को एक समान वेतन और एक जैसी ड्रेस पहननी होगी। लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका। पर अब राज्य की भाजपा-आईपीएफटी सरकार ने इसे सभी शिक्षकों के लिए लागू करने का फैसला किया है जो स्वागत योग्य कदम है।
अब यह रहेगा ड्रेस कोड
मंत्री नाथ ने कहा कि उनका विभाग प्राथमिक, अपर प्राथमिक और सेकेंडरी स्तर के शिक्षकों के लिए अलग-अलग ड्रेस जारी करेगा। ड्रेस शिक्षिकाओं के लिए भी होगी। शिक्षकों को शर्ट, पेंट, स्वेटर और जैकेट पहनना होगा वहीं शिक्षिकाओं के लिए शिक्षिकाओं के लिए साड़ी या सलवार कमीज होगी। मंत्री ने कहा कि शिक्षा एक पेशवर पेशा है जहां शिक्षक और अन्य कर्मचारियों को सही ढंग से ड्रेस पहननी चाहिए ताकि स्कूल में वातावरण अच्छा बना रहे। शिक्षकों को जींस,योगा पेंट और अन्य सामग्री न पहनने के लिए कहा गया है।बदरहाट हायर सेकेंडरी स्कूल की शिक्षिका अंजू दे ने कहा कि इससे स्कूल में पढ़ाई का माहौल बनाए रखने में मदद मिलेगी।