प्लाज्मा स्टॉक नहीं था
डिबू्रगढ़ स्थित डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता भास्कर पापुकन गोगोई को एएमसीएच में एक स्टाफ नर्स बिजुरानी गोगोई के लिए ब्लड प्लाज्मा की तत्काल आवश्यकता के बारे में कॉल आया। दरअसल नर्स ड्यूटी के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमित हुई और जीवन के लिए जूझ रही हैं। प्लाज्मा बैंक खाली हो गया था, निकटतम विकल्प जोरहाट मेडिकल कॉलेज अस्पताल था, लेकिन उसके पास भी स्टॉक नहीं था।
पहले भी की थी मदद
डॉक्टर गोगोई डिबू्रगढ़ में खुद प्लाज्मा दान अभियान चलाते हैं। जिन्होंने पिछले दिनों डिब्रूगढ़ में कुछ अन्य रोगियों के लिए ब्लड प्लाज्मा की व्यवस्था करने में मदद की थी। ऐसे में डॉ गोगोई ने मारवाड़ी युवा मंच (एमवाईएम) की डिब्रूगढ़ इकाई से संपर्क किया। जो एक युवा स्वयंसेवी संगठन है। इस सप्ताह की शुरुआत में डॉ गोगोई ने एमवाईएम की मदद से डिब्रूगढ़ में ब्लड प्लाज्मा दान का आयोजन किया था।
7 हजार हैं सदस्य
पूर्वोत्तर (एमवाईएम) के महासचिव राहुल अग्रवाल ने “रात लगभग 9 बजे, हमारी डिबू्रगढ़ यूनिट ने हमें सूचित किया। हम पहले भी असम में गरीब लोगों की मदद, बाढ़ राहत, रक्तदान में सक्रिय रूप से शामिल थे, लेकिन यह एक नया संकट था, लेकिन हमने ब्लड प्लाज्मा को गुवाहाटी से डिबू्रगढ़ पहुंचाने की जिम्मेदारी ली।” मारवाड़ी युवा मंच के पूर्वोत्तर भारत में लगभग 7,000 सक्रिय सदस्य हैं।
एमवाईएम को सक्रिय किया
यह निर्णय लिया गया कि प्रत्येक जिला इकाई प्लाज्मा को अपनी जिला सीमा तक ले जाएगी और अगली जिला इकाई तक पहुंचाएगी जो उनका इंतजार कर रही होगी। नाहटा ने फोन पर पूरी प्रक्रिया की निगरानी की। एक बड़ी चुनौती थी – असम में एक जिले से दूसरे में आने-जाने पर पाबंदी है और हर दिन शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे के बीच कफ्र्यू होता है और सप्ताहांत पर लॉकडाउन होता है। यहीं पर कोकराझार में रहने वाले (एमावाईएम) पूर्वोत्तर के अध्यक्ष मोहित नाहटा ने गुवाहाटी से डिबू्रगढ़ के बीच सभी मंच की इकाइयों को सक्रिय किया।
एक से दूसरी टीम तक पहुंचाया
राहुल अग्रवाल और रवि सुरेखा ने गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज से प्लाज्मा लिया और नागांव पहुंचे, जहां उन्होंने उसे नागांव टीम को सौंप दिया, जिसने उसे बोकाखाट में दूसरी टीम को सौंपा। राहुल अग्रवाल ने कहा, “बोकाखाट टीम ने जोरहाट को दिया, जोरहाट की टीम ने शिवसागर की सीमा तक पहुंचाया और शिवसागर की टीम ने इसे मोरन की टीम को दिया और अंत में मोरन ने इसे डिब्रूगढ़ पहुंचाया।”
बाधाओं का सामना करके पहुंचे
कार से प्लाज्मा पहुंचाने वाली इन टीमों को कई स्थानों पर पुलिस ने रोका। टीमों को भारी बारिश का सामना करना पड़ा। टीमों को ट्रैक कर रहे थे।” “डॉ गोगोई ने कहा कि इन युवाओं के बिना यह संभव नहीं हो सकता था। “यह एक रात थी जिसे मैं अपने जीवन में कभी नहीं भूलूंगा। मैं ब्लड प्लाज्मा ले जाने वाले आइस बॉक्स को लेने के लिए डिबू्रगढ़ टीम के साथ भी गया था। वे इस बात का उदाहरण हैं कि युवा और सिविल सोसायटी कोविड के खिलाफ इस युद्ध में कैसे बदलाव ला सकते हैं।