कृषि विशेषज्ञों की मानें तो बीहड़ का सबसे बड़ा इलाका चंबल नदी के आसपास का है। इसमें एक लाख हेक्टेयर रकबा बीहड़ का है। इसके बाद क्वारी नदी क्षेत्र में बीहड़ अधिक तेजी से बढ़े हैं। ऐसी स्थिति आसन, सीप, बेसली, कूना, पार्वती, सांक और सिंध नदी क्षेत्र में भी है। सबसे बड़ा खतरा बीहड़ों के बढऩे से है।
एक बार फिर इसके लिए प्रयास संभव हैं। माना जा रहा है इस परियोजना से बीहड़ क्षेत्र में खेती-किसानी और पर्यावरण में बड़ा सुधार आएगा, साथ ही रोजगार के भी काफी अवसर पैदा होंगे। नए सिरे से इस परियोजना को तैयार करने पर विश्व बैंक सैद्धांतिक रूप से राजी है। अब सरकार चाहे तो बीहड़ की तस्वीर बदल सकती है। एक अनुमान के मुताबिक इससे यहां चार हजार से अधिक कृषि विशेषज्ञों, इंजीनियरों के अलावा कृषि क्षेत्र में ढाई लाख से अधिक रोजगार मिल सकते हैं।
परियोजना में कई विभागों को मिलकर काम करना था। अब इसमें कृषि की मौजूदा परिस्थितियों औैर अन्य राज्यों के आधार पर ड्राफ्ट बनेगा। इसमें सरकार को देखना होगा कि कृषि सुधार कैसे हो, इसका लाभ किसानों या उससे जुड़े वर्गों को कैसे मिलेगा। जैविक खेती को किस तरह प्रोत्साहित किया जा सकता है। अत्याधुनिक तकनीक को इससे कैसे जोड़ा जाएगा? बीहड़ क्षेत्र के लिए गुणवत्तायुक्त बीजों का विकास और उसके जरिए प्रदेश को कृषि उत्पादन में सरप्लस बनाने का उद्देश्य भी शामिल किया जा सकता है।