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ग्वालियर

बीहड़ में बहार के प्रोजेक्ट फेल, खेती के लायक नहीं बनी 3 लाख हेक्टेयर जमीन

ग्वालियर-चंबल के बीहड़ों को दस्यु मुक्त कराने में कामयाबी मिल गई है, लेकिन अब तक यहां बहार लाने की कवायद कामयाब नहीं हुई है। सरकार के तमाम प्रोजेक्ट के बाद भी बीहड़ की 3 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि आज तक खेती के लायक नहीं बन सकी है। अगर बीहड़ विकास परियोजना साकार होती तो बीहड़ में फसल लहलहाती और रोजगार के द्वार भी खुद ब खुद खुल जाते।

ग्वालियरNov 25, 2021 / 08:17 pm

Nitin Tripathi

Patrika

बीहड़ क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है।

ग्वालियर . बीहड़ के मौजूदा हालात बड़ा संकट हैं। बीहड़ क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। इसमें तेजी से बढ़त ने अब गांवों को लीलना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक भिंड, मुरैना और श्योपुर के एक हजार से अधिक गांवों में पलायन हो चुका है। इसमें मुरैना सबसे अधिक प्रभावित रहा, इसके बाद श्योपुर और फिर भिंड के हालात खराब हैं। बता दें कि प्रदेश में काफी पहले बीहड़ विकास परियोजना का सपना विश्व बैंक के सहयोग से देखा गया था। विश्व बैंक के सहयोग से परियोजना साकार होनी थी, लेकिन उसने हाथ खींच लिए। जबकि इस परियोजना के जरिए बीहड़ में कृषि क्षेत्र विस्तार, उत्पादकता में वृद्धि के साथ वैल्यू चेन विकसित करने की तैयारी थी।
सबसे अधिक चंबल नदी के किनारे बीहड़
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो बीहड़ का सबसे बड़ा इलाका चंबल नदी के आसपास का है। इसमें एक लाख हेक्टेयर रकबा बीहड़ का है। इसके बाद क्वारी नदी क्षेत्र में बीहड़ अधिक तेजी से बढ़े हैं। ऐसी स्थिति आसन, सीप, बेसली, कूना, पार्वती, सांक और सिंध नदी क्षेत्र में भी है। सबसे बड़ा खतरा बीहड़ों के बढऩे से है।
अब तक कई योजनाएं बनीं लेकिन इनके नतीजे सिफर

नए सिरे से कवायद करे सरकार तब होगी सफल
एक बार फिर इसके लिए प्रयास संभव हैं। माना जा रहा है इस परियोजना से बीहड़ क्षेत्र में खेती-किसानी और पर्यावरण में बड़ा सुधार आएगा, साथ ही रोजगार के भी काफी अवसर पैदा होंगे। नए सिरे से इस परियोजना को तैयार करने पर विश्व बैंक सैद्धांतिक रूप से राजी है। अब सरकार चाहे तो बीहड़ की तस्वीर बदल सकती है। एक अनुमान के मुताबिक इससे यहां चार हजार से अधिक कृषि विशेषज्ञों, इंजीनियरों के अलावा कृषि क्षेत्र में ढाई लाख से अधिक रोजगार मिल सकते हैं।
ड्राफ्ट बनाते समय किसानों का लाभ, प्रदेश के फायदे खोजेंं
परियोजना में कई विभागों को मिलकर काम करना था। अब इसमें कृषि की मौजूदा परिस्थितियों औैर अन्य राज्यों के आधार पर ड्राफ्ट बनेगा। इसमें सरकार को देखना होगा कि कृषि सुधार कैसे हो, इसका लाभ किसानों या उससे जुड़े वर्गों को कैसे मिलेगा। जैविक खेती को किस तरह प्रोत्साहित किया जा सकता है। अत्याधुनिक तकनीक को इससे कैसे जोड़ा जाएगा? बीहड़ क्षेत्र के लिए गुणवत्तायुक्त बीजों का विकास और उसके जरिए प्रदेश को कृषि उत्पादन में सरप्लस बनाने का उद्देश्य भी शामिल किया जा सकता है।
केंद्र सरकार को प्रोजेक्ट भेजा

बीहड़ को सुधारने का काम बहुत बड़ा है। अभी विवि के माध्यम से केंद्र सरकार को 25 करोड़ का प्रोजेक्ट भेजा गया है। इसको मार्च तक मंजूरी मिल सकती है। – डॉ. एसके राव, कुलपति, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि, ग्वालियर

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