2011 में प्रारंभ किया गया था केंद्र कटी घाटी स्थित उस्ताद हस्सु-हद्दू खां परिसर में संचालित ध्रुपद केंद्र की स्थापना 16 जून 2011 में की गई थी। इस केंद्र से पहला बैच 2015 को पास आउट हुआ। इसमें गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेने वाले प्रतिभागी को संस्कृति विभाग की ओर से स्कॉलरशिप दी जाती है।
कई जगहों पर छात्र दे चुके प्रस्तुति ध्रुपद केंद्र में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को अलग-अलग स्थानों पर प्रस्तुति का अवसर भी संस्थान की ओर से उपलब्ध कराया जाता है। इसमें अध्ययनरत छात्र तानसेन संगीत समारोह, राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव, धु्रपद मेला बनारस, उत्तराधिकार भोपाल, भोजपुर महोत्सव, अंतरराष्ट्रीय विश्व संगीत योगा दिवस मैहर, रागांजलि शिवपुरी आदि जगहों पर प्रस्तुति दे चुके हैं। इसके साथ ही यहां लेक्चर देने के लिए विषय विशेषज्ञ भी आते हैं।
10 घंटे तक हर रोज करना पड़ता है रियाज ध्रुपद केंद्र के गुरु और निदेशक अभिजीत सुखदाणे ने बताया कि केंद्र में 4 साल तक युवाओं को धु्रपद गायकी का प्रशिक्षणा दिया जाएगा। केंद्र में यह क्लास सुबह से शाम तक रहेगी। इसमें प्रशिक्षण लेने वाले छात्र-छात्राओं को कम से कम 10 घंटे तक हर रोज रियाज करना होता है। इसमें सुबह 4 से 6 बजे तक अति मन्द्र स्वर, सुबह 7 से 9 बजे तक मुर्छूना व सुबह 11 से शाम 6 बजे तक आलाप, जोड़ झाला और बंदिशों का रियाज कराया जाता है।