चौपाल पर पहुंचेंगे अधिकारी बालिकाओं के जन्म पर बुजुर्ग, पारिवारिक जन और आसपड़ौस के महिला-पुरुषों की सोच में बहुत हद तक बदलाव नहीं आया है। अभी भी बहुत सी जगहों पर कन्या के जन्म को हेय दृष्टि से देखा जा रहा है। जनमानस में व्याप्त इस सोच में बदलाव लाने के लिए महिला बाल विकास, स्वास्थ्य, प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारियों सहित सहित स्कूल के छात्र और कॉलेजों से समाज सेवा में डिग्री कर रहे छात्र-छात्राओं को जागरुकता कार्यक्रमों में शामिल करने की प्लानिंग हो रही है। इसके साथ ही विभागीय अधिकारी ग्रामीण दौरे पर लोगों के बीच चौपाल आदि सार्वजनिक स्थानों पर कन्या के जन्म के प्रति सकारात्मक सोच पैदा करने के लिए बातचीत करेंगे।
यह है रिपोर्ट -2014-15 में एक हजार बालकों पर 888 बालिकाएं थीं।
-2015-16 में एक हजार बालकों पर 918 बालिकाएं थीं। -2016-17 में एक हजार बालकों पर 906 बालिकाएं थीं।
-2017-18 में एक हजार बालकों पर 909 बालिकाएं थीं।
-2018-19 में अभी तक एक हजार बालकों पर 910 बालिकाएं हैं।
-शिशु लिंगानुपात में बीते पांच साल से लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है, एक हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या वर्तमान में 910 है। इसको लेकर भारत सरकार के महिला बाल विकास मंत्रालय ने रिपोर्ट भेजी है, अब हम इस संख्या को और बेहतर करने के लिए जागरुकता और जानकारी प्रत्येक अभिभावक तक पहुंचाने के प्रयास में हैं, ताकि कन्याओं को लेकर माता-पिता की सोच व्यापक हो सके।
अनुराग चौधरी, कलेक्टर