यहां वर्तमान में आधा दर्जन से अधिक ऐसे अधिकारी यहां पदस्थ हैं। निगमायुक्त विनोद शर्मा अपने सेवाकाल में दूसरी बार उसी पद पर रहकर यहां विधानसभा चुनाव संपन्न कराने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। 2013 में विधानसभा चुनाव के समय वे यहां निगमायुक्त थे। इससे पहले वे यहां अन्य प्रशासनिक पदों पर भी रहे।
2013 के चुनाव कराने के बाद वे इंदौर नगर निगम कमिश्नर और आगर व मुरैना में कलेक्टर पद पर रहकर 2017 में वापस ग्वालियर निगमायुक्त बनकर लौट आए। माना जाता है कि वे केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के नजदीकी हैं। उनकी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता से रिश्तेदारी भी है। नगर निगम समेत जिला प्रशासन, पुलिस में कई ऐसे अधिकारी हैं जो आधा से अधिक सेवाकाल ग्वालियर में सेवाएं देने के बाद प्रमोशन पाकर फिर ग्वालियर आकर पदस्थ हो गए।
जमे हुए तीन साल से ज्यादा हो गए
जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक पद पर तैनात हुए डा. जेएस सिकरवार को यहां तीन वर्ष हो गए। इसी तरह लोक निर्माण विभाग सेतु निर्माण संभाग ग्वालियर में कार्यपालन यंत्री मोहर सिंह जादौन को यहां पांच साल से अधिक समय हो गया है। ऐसे ही इस विभाग के लेखाधिकारी आनंद जैन, महेश कुमार जैन, उप यंत्री राजीव निगम जैसे कई अधिकारी हैं जिनको तीन वर्ष से अधिक समय हो गया है। इसी तरह वाणिज्यिक कर विभाग संयुक्त आयुक्त एसके श्रीवास्तव, कर निरीक्षक जया गुप्ता और धनराज गुप्ता को 7-8 वर्ष से अधिक यहीं पदस्थ हुए हो गए हैं।
कांग्रेस और आप ने की थी शिकायत
कुछ समय पहले कांग्रेस ने नेताओं के रिश्तेदार और तीन वर्ष से अधिक समय से जमे अधिकारियों की सूची चुनाव आयोग को अपनी आपत्तियों के साथ भेजी थी। इसमें निगमायुक्त विनोद शर्मा और संभागीय कमिश्नर बीएम शर्मा के भी नाम शामिल थे।