अभियान के पहले दिन तय हुआ कि पहले बावड़ी के ऊपरी हिस्से की सफाई की जाएगी और फिर जरूरत के हिसाब से बावड़ी को पूरी तरह साफ किया जाएगा। ताकि बावड़ी में साफ पानी आ सके। प्रदेश सरकार के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इस मौके पर कहा कि ग्वालियर शहर के साथ-साथ प्रदेश भर में जल संकट है। इस जल संकट को उबारने के लिए पुराने जल स्त्रोतों को पुन: रीचार्ज करने की आवश्यकता है। शहर में कई ऐसी बाबड़ी और कुंए हैं जिनको रीचार्ज कर दिया जाए तो आसपास के क्षेत्र में पानी की कमी दूर हो सकती है।
उन्होंने कहा कि इस बावड़ी को साफ किए जाने की जरूरत कई सालों से महसूस की जा रही थी।पत्रिका ने अमृतं जलम् अभियान के तहत इस बाबड़ी का चयन करके सराहनीय पहल की है। श्रमदान कार्यक्रम से तालाब की सफाई तो होगी ही साथ ही लोगों में काम के प्रति जागरुकता बढ़ेगी। रमटापुरा के साथ-साथ शहर के लोगों और समाजसेवी संस्थाओं को इसमें बढ़ चढकऱ भाग लेना चाहिए। इस बावड़ी को नगर निगम व प्रशासन को भी इसे प्राथमिकता के तौर पर लेना चाहिए। जिससे यह बावड़ी लोगों के काम आ सके।
पत्रिका की पहल सराहनीय और प्रशंसनीय “यह अभियान बहुत प्रेरणादायी है। बावड़ी का जीर्णोद्धार होना ही चाहिए। यह शहर के लोगों के लिए धार्मिक आस्था का स्थान भी है।”
राजेन्द्र जैन, एडवोकेट
“पत्रिका की पहल सराहनीय और प्रशंसनीय है। बावड़ी पर शुरू किए गए श्रमदान कार्य से जल्द ही नगर के अनेक लोग जुड़ेेंगे ऐसी संभावना है।”
सियाराम शर्मा, खेड़ापति मंदिर
“शहर पानी की समस्या से जूझ रहा है। पत्रिका ने एक बार फिर अमृ़तं जलम् की शुरूआत की है। उनके इस अभियान में लायंस क्लब समर्पण की टीम साथ है।”
साधना सांडिल्य “शहर में 2500 ताल-तलैया, कुएं और बावड़ी हैं। यदि पत्रिका की तरह हर एक संस्था इन जल स्रोतों पर ध्यान दे ले, तो पानी की समस्या काफी हद तक सुधर सकती है।”
लेखिता सिंघल
“खेड़ापति मंदिर के समीप स्थित यह बावड़ी काफी प्राचीन है। इसका जीर्णोद्धार किया जाने का मतलब पानी की समस्या से मुक्ति दिलाना है।”
नीलम सिंघल
“पत्रिका का यह अच्छा इनिशिएटिव है। आने वाले दिनों में बारिश होगी। यदि इस पानी को बावड़ी में सहेज पाए, तो यकीनन आसपास का जलस्तर बढ़ सकेगा।”
स्मिता खरे
“पत्रिका ने लास्ट ईयर शारदा विहार कॉलोनी स्थित बावड़ी का जीर्णोद्धार किया था। हमारी टीम ने उस समय भी श्रमदान किया था और अब भी टीम साथ है।”
आकाश बरुआ