ग्वालियर

ASI Survey Bhojshala Temple : केके मुहम्मद बोले- मुस्लिम के लिए जैसे मक्का-मदीना, वैसे हिंदू के काशी-मथुरा

Bhojshala Temple ASI Survey KK Muhommad Big Statement: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पूर्व अधिकारी पद्मश्री केके मुहम्मद बोले – काशी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा का ईदगाह हिंदू मंदिर तोड़कर बनाए गए हैं, जानें क्योॆ बोले हिंदुओं का दर्द नहीं समझेंगे तो भारत में रहने लायक नहीं हैं…

ग्वालियरMar 23, 2024 / 09:26 am

Sanjana Kumar

Bhojshala Temple ASI Survey KK Muhommad Big Statement:अयोध्या विवाद के हल में प्रमुख भूमिका अदा करने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पूर्व अधिकारी पद्मश्री केके मुहम्मद ने कहा कि काशी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा का ईदगाह हिंदू मंदिरों को तोडकऱ बनाए गए हैं, यह स्पष्ट दिखता है। मुसलमानों को चाहिए कि इन्हें हिंदुओं को सौंपकर भाईचारे का परिचय दें और इस्लाम के सिद्धांतों को जीत दिलाएं।

पद्मश्री केके मुहम्मद (KK Muhommad) शुक्रवार को एक कार्यक्रम के सिलसिले में ग्वालियर आए थे, उन्होंने पत्रिका से खास बातचीत में यह बात कही। उन्होंने कहा कि ‘जिस तरह से मुसलमानों के लिए मक्का-मदीना महत्वपूर्ण है, ठीक उसी तरह से एक हिंदू के लिए ये जरूरी हैं। मुसलमानों को एक हिंदू का दर्द समझना चाहिए, यदि वो दर्द नहीं समझेंगे तो आप भारत में रहने के लायक नहीं हैं। मैं हमेशा इसी बात का पश्चाताप कर रहा हूं कि एक महमूद गजनवी ने हिंदुस्तान के मंदिरों को तोड़ा, एक मुहम्मद यानी मैं आज ऐसे ही मंदिरों को संवार कर पश्चाताप की राह पर हूं। मेरा मानना है कि मुसलमानों को अपनी गलतियों के लिए पश्चाताप करना ही चाहिए। पहले अहसास होना जरूरी है, बाद में उसके लिए सुधार कर सकते हैं।’

फतवों के डर से सच बोलना नहीं छोडूंगा

सच बोलने का खामियाजा बताते हुए केके मुहम्मद (KK Muhommad) ने कहा कि ‘आज भी केरल में अपने घर में सरकार की ओर से दी गई सुरक्षा के दायरे में रहता हूं। मेरे खिलाफ फतवा है कि मुझे कब्रिस्तान में जगह नहीं देंगे, कोई बात नहीं, मेरी मृत देह मेडिकल काॅलेज को दान कर दूंगा। यह भी सच है कि मुस्लिम समुदाय के लोग मुझे छोड़ेंगे नहीं, लेकिन फतवों के डर से सच बोलना तो नहीं छोड़ सकता हूं।’

 

केके मुहम्मद (KK Muhommad) ने बताया कि मितावली-पड़ावली, बटेश्वर के मंदिरों पर कांग्रेस कार्यकाल में जीर्णोद्धार का काम किया गया था। यही वजह है कि इन मंदिरों पर बीजेपी और आरएसएस का कोई ध्यान नहीं है, ऐसे में पिछले दस वर्षों से यहां कुछ नहीं हो पाया है। इसके चलते यहां पर्यटक भी कम ही पहुंचते हैं।

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