परिवार का कहना है कि हमें यह भी नहीं पता कि मेहनत से जोड़ी गृहस्थी अब सही बची होगी या नहीं। इसी तरह गांव के अन्य हितग्राहियों के एकाउंट से भी पीएमएवाय के पैसे को दूसरे लोन के लिए समायोजित किया गया है। बैंक अधिकारियों की इस मनमानी से पूरे गांव में नाराजगी है, ग्रामीण हितग्राहियोंं का कहना था कि देश के बड़े-बड़े बकायादार करोड़ों रुपए लेकर भाग जाते हैं, तब बैंक अधिकारी कुछ नहीं कर पाते और गरीब के सिर्फ एक हजार बाकी रहने पर ताला डाल दिया। ग्रामीणों में बैंक की इस कार्रवाई से नाराजगी है और सभी का कहना है कि इंसाफ न हुआ तो वे मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे।
पुराने लोन के काटे पैसे
ग्रामीणों ने बताया कि बहुत साल पहले बकरी, मुख्यमंत्री आवास आदि के लिए छोटे-छोटे लोन लिए थे। इनका पैसा भी बहुत सारा जमा कर दिया था। प्रधानमंत्री आवास योजना की पहली किश्त की एक-एक लाख रुपए की राशि कुछ समय पहले ही खातों में आई हैं इसके बाद बैंक वालों ने पुराने ऋण की वसूली के लिए राशि में कटौती कर ली। जबकि आवास के लिए दिए गए लोन में से नियमानुसार सबसे पहले आवास का काम कराया जाना चाहिए था।
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बहुत पहले का लोन था, बहुत सा चुका भी दिया है, इसके बाद भी बैंक वालों ने पैसे काट लिए। यह नाइंसाफी है, हमसे पूछा भी नहीं। हम वोट क्यों दें, जब सरकारी विभाग में मनमानी हो रही है।
मनीराम रजक, हितग्राही-सालूपुरा
हमने मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 60 हजार रुपए का लोन लिया था, इसमें30 हजार रुपए छूट थी, बाकी की राशि हमने चुका दी थी, सिर्फ 5 हजार रुपए रह गए थे, जब बैंक वाले आए, उस समय हमारे पास 4 हजार रुपए थे, हम देने को तैयार थे, लेकिन 1 हजार रुपए कम होने पर बैंक वाले मकान में ताला डाल गए। 6 महीने से हम अब किराए पर रह रहे हैं, बैंक वाले ताला नहीं खोल रहे।
लल्लूसिंह बरैठा, सालूपुरा
हमारा प्रधानमंत्री आवास योजना का प्रकरण स्वीकृत हुआ था, पहली किश्त एक लाख रुपए की आई तो हम घर बनाने की शुरुआत करने लगे। बाद में पता चला कि बैंक ने हमारे 30 हजार रुपए काट लिए हैं। हमको बताया भी नहीं और दस्तखत भी करा लिए थे।
रैनू, हितग्राही, पिपरौली