पहले दिन हुई बालक के माता के गर्भ में आने के पूर्व की क्रियाएं, घटयात्रा और ध्वजारोहण के साथ पंचकल्याणक शुरू
– पहले दिन गर्भ कल्याणक के पूर्व की क्रियाएं हुईं
पहले दिन हुई बालक के माता के गर्भ में आने के पूर्व की क्रियाएं, घटयात्रा और ध्वजारोहण के साथ पंचकल्याणक शुरू
ग्वालियर. बरई स्थित जिनेश्वरधाम में एक सप्ताह चलने वाले ऋषभदेव जिनबिंब पंचकल्याणक एवं प्रतिष्ठा महोत्सव की शुक्रवार से शुरुआत हुई। पहले दिन तीर्थंकर बालक के माता के गर्भ में आने के पूर्व की क्रियाएं हुईं। सुबह सबसे पहले 248 दैविक शक्तियों का आव्हान कर उन्हें आमंत्रित किया गया। शुक्रवार सुबह 7 बजे से धार्मिक कार्यक्रम शुरू हो गए थे। पहले मंगलाष्टक, रक्षा मंत्र, शांति मंत्र, भगवान का अभिषेक शांतिधारा, पूजन की गई।
प्राचीन मंदिर से निकली घटयात्रा
पंचकल्याणक का शुभारंभ घटयात्रा से हुआ। यह घटयात्रा बरई पहाड़ी स्थित प्राचीन जैन मंदिर से शुरू हुई, जो जिनेश्वरधाम पहुंची। जहां श्रीकृष्णदास जैन मामा का बाजार ने ध्वजारोहण किया। महाराष्ट्र से आए पंडितों ने क्षुल्लक समर्पण सागर के निर्देशन में इस अवसर पर पूजा-अर्चना की।
मंडप शुद्धि एवं मंगल कलश स्थापित
महोत्सव में मंडप शुद्धि के बाद आचार्य विशुद्ध सागर के सानिध्य में मंडप का उद्घाटन हुआ। मंगल कलश की स्थापना के बाद इंद्र प्रतिष्ठा व नांदी विधान हुआ।
रात को हुईं गर्भ कल्याणक की क्रियाएं
पंचकल्याणक के पहले दिन शुक्रवार रात गर्भ कल्याणक के पूर्व रूप की क्रियाएं हुईं, इनमें सौधर्म इंद्र की सभा हुई। धनपति कुबेर ने रत्नों की वर्षा की। माता त्रिशला को 16 स्वप्न दिखाई दिए। अष्टकुमारियों ने माता की सेवा की।
आचार्य संघ का हुआ मंगल प्रवेश
आचार्य विशुद्ध सागर अपने संघ के दो दर्जन मुनियों के साथ जिनेश्वरधाम पहुंचे। उनकी अगवानी मुनि विहसन्त सागर, संस्कार सागर, विश्वसूर्य सागर के अलावा इंद्र-इंद्राणियों और जैन समाज के श्रावकों ने की। इस दौरान गजराज, घोड़े भी चल रहे थे। पंचकल्याणक में आने वाले श्रद्धालुओं को जिनेश्वरधाम पहुंचने के लिए ग्वालियर के 10 स्थानों से नि:शुल्क बसें चलाई जा रही हैं।
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