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ग्वालियर

सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक, ये रहे खास मुहुर्त भाई-दूज मनाने के

bhai dauj shubh ke shubh muhurat: इस त्योहार का संबंध मृत्यु के देवता यमराज और प्यारी बहन यमुना से है। देवी यमुना नदी रूप धारण करके पृथ्वी

ग्वालियरOct 28, 2019 / 08:46 pm

Gaurav Sen

ग्वालियर. पांच दिन के दिपावली के त्यौहार का चौथा दिन भाईदूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाईयों को तिलक करती हैं। श्रीफल भेंट करती हैं और मिठाई खिलाती हैं। भाई बहन के स्नेह का त्योहार भाई दूज इस वर्ष 29 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जा रहा है। धार्मिक कथाओं और मान्यताओं से पता चलता है कि यह त्योहार सतयुग से भी पहले से चला आ रहा है। इस त्योहार का संबंध मृत्यु के देवता यमराज और प्यारी बहन यमुना से है। देवी यमुना नदी रूप धारण करके पृथ्वी पर चली आईं जिससे यमराज और यमुना काफी समय से मिल नहीं पाए। एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को यमराज के मन में बहन यमुना से मिलने का विचार आया। इन्होंने यमलोक के काम से छुट्टी लेकर देवी यमुना से मिलने की योजना बनाई और पृथ्वी पर यमुना से मिलने आ पहुंचे।

भाई दूज पर बहनों को मिला वरदान
देवी यमुना अपने भाई यमराज को देखकर बहुत प्रसन्न हुईं और उनकी पूजा अर्चना की। यमुना ने स्वयं अपने हाथों से भाई को भोजन बनाकर खिलाया। यमराज ने यमुना को वरदान दिया कि अब से कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज के नाम से जाना जाएगा। इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर उनके हाथों से बना भोजन ग्रहण करेगा उसे यम का भय और अकाल मृत्यु का डर नहीं रहेगा। शास्त्रों में इस दिन यमुना में स्नान करना का भी विधान बताया गया है।

ये हैं सही समय

इस वर्ष 29 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 13 मिनट से द्वितीया तिथि आरंभ हो रही है। द्वितीया तिथि 30 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार भाई दूज का त्योहार सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले द्वितीया तिथि में मनाना चाहिए। शाम 5 बजकर 38 मिनट पर सूर्यास्त हो जाएगा। इस समय से पूर्व यह त्योहार शुभ चौघडिय़ा में मनाना चाहिए।

भाई दूज शुभ चौघडिय़ा और पूजन समय सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 5 मिनट तक लाभ चौघडिय़ा रहेगा। इस समय पूजन करना उत्तम रहेगा। इसके बाद 1 बजकर 30 मिनट तक अमृत चौघडिय़ा में भी त्योहार मनाया जा सकता है। अंतिम शुभ चौघडिय़ा 2 बजकर 50 मिनट से 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।

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