न्यायमूर्ति शील नागु एवं न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव ने जगत सिंह द्वारा प्रस्तुत जनहित याचिका का निराकरण करते हुए उक्त निर्देश दिए हैं। उच्च न्यायालय में यह कहते हुए याचिका प्रस्तुत की गई थी कि दबोह आलमपुर कृषि उपमंडी के भवन निर्माण के लिए सर्वे क्रमांक ४३८/२ की २.७१७ हैक्टेयर जमीन पर लगे एक हजार से अधिक फलदार एवं हरेभरे पेडों को काटा जा रहा है। इन पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जाए। इस जमीन के स्वामित्व को लेकर एक मामला न्यायालय में लंबित था जिसका समझौते के आधार पर निराकरण हुआ था। इसमें ४७ पेड़ों का ७ लाख ६३ हजार रुपए का मुआवजा कृष्णगोपाल को दिया जाना था। कृषि उपज मंडी को जमीन मिलने के बाद यहां ३० लाख की लागत भवन निर्माण की योजना तैयार की गई। इसके लिए यह पेड काटे जाने की अनुमति मांगी गई थी। कृषि उपज मंडी का कहना था कि कृष्णगोपाल ने मंडी की जमीन पर कब्जा करने के लिए यहां पेड लगाए थे। लेकिन उसने पिछले सोलह साल में कोई पेड नहीं लगाए थे। समिति ने यहां कुल २६५ पेडों की संख्या बताई थी। जबकि न्यायालय के निर्देश पर गई टीम ने यहां ९२९ पेड पाए थे। जबकि यहां पेडों की संख्या इससे भी कहीं ज्यादा है। इस याचिका में शासन की ओर से एफए शाह, याचिकाकर्ता की ओर से एमपीएस रघुवंशी तथा इंटवीनर की ओर से एडवोकेट संतोष अग्रवाल एवं संजय शर्मा ने अपना पक्ष रखा।
यह भी दिए निर्देश -पहले चरण में सर्वे क्रमांक ४३८/२ की २.७१७ हैक्टेयर जमीन पर जहां की पेड खड़े हैं उनकी सुरक्षा के लिए चारदीवारी का निर्माण किया जाए। -कलेक्टर एवं वन अधिकारी इस जमीन पर लगे पेड काटे न जाए इसके लिए निरंतर नजर रखें । यदि यहां एक भी पेड काटा जाता है तो इसके लिए कलेक्टर और वन मंडल अधिकारी भिंड इसके लिए जिम्मेदार होंगे।
-मंडी के भवन के लिए अधिकारी योजना तैयार कर इसका निर्माण कराएंं।- कलेक्टर एवं वन मंडल अधिकारी को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे न्यायालय को आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रुप से निरीक्षण करेंगे और पेड काटे बिना निर्माण की योजना को मंजूरी देंगे।
-यदि कोई झाडियां है और उन्हें हटाया जाना जरुरी है तो उसकी मंजूरी कलेक्टर और डीएफओ दे सकते हैं।