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निजी अस्पताल में भर्ती 17 वर्षीय किशोरी को तत्काल प्लेटलेट्स की जरूरत थी। इंटरनेट बंद होने से रक्तदाताओं से संपर्क मुश्किल हो रहा था। संदीप प्रधान को सुबह 5 बजे इसकी सूचना मिली तो वह तुरंत सक्रिय हुए और अस्पताल पहुंचकर प्लेटलेट्स दान की। संदीप अब तक 24 बार रक्तदान और तीन बार प्लेटलेट्स दे चुके हैं। यह भी पढ़ें
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छतरपुर निवासी अशोक भट्ट की १७ वर्षीय बेटी को बुखार आने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लगातार प्लेटलेट्स कम होती जा रही थीं। प्लेटलेट्स १.५० लाख से २० हजार पर पहुंच गई। पिता और रिश्तेदारों का ब्लड ग्रुप नहीं मिला,इस पर परिजनों की चिंता बढ़ गई। एेसे में संदीप प्रधान ने ऐन वक्त पर पहुंचकर प्लेटलेट्स देकर किशोरी की जान बचाई। यह भी पढ़ें
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किसी डोनर से नहीं हो पा रहा था संपर्क14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती होने के चलते शहर में जिला प्रशासन ने इंटरनेट बंद कर रखा था। इस कारण रक्तदान करने वाले डोनरों से संपर्क नहीं हो पा रहा था। रक्तदान महादान समिति से संदीप के पास फोन आया, जिस पर संदीप देरी किए बिना निजी अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंच गए।