ग्वालियर

दवा लाइसेंस की घूस 25 हजार वसूलते सेंपल सहायक पकडा, ड््रग इंस्पेक्टर फरार

दवा के कारोबार के लिए लाइंसेंस मुहैया कराने के एवज में 2५ हजार की घूस लेते औषधी विभाग का सेंपल बाबू अयूब खान पकडा गया है। ड््रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर खुद गायब हो गया।

ग्वालियरOct 29, 2020 / 07:45 pm

Puneet Shriwastav

दवा लाइसेंस की घूस २५ हजार वसूलते सेंपल सहायक पकडा, ड््रग इंस्पेक्टर फरार

ग्वालियर। दवा के कारोबार के लिए लाइंसेंस मुहैया कराने के एवज में 25 हजार की घूस लेते औषधी विभाग का सेंपल बाबू अयूब खान पकडा गया है। 30 हजार रू घूस ड््रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर ने मांगी थी। फिर सौदा 25 हजार रू में डन किया था। घूस की रकम वसूलने के लिए गुरूवार का दिन और औषधी विभाग का दफतर मुकर्रर किया था। लेकिन मौके से ड््रग इंस्पेक्टर खुद गायब हो गया। सैंपल सहायक ने घूस की रकम लेकर ठिकाने पर रखी लोकायुक्त पुलिस ने उसकी गर्दन नापी। पकडे जाने पर सैंपल सहायक ने एक सांस में कहानी सुना दी कि घूसखोरी तो ड््रग इंस्पेक्टर कराता है। उसे भी हिस्सा देता है।
लधेडी निवासी महेन्द्र बाथम ने बताया उन्होंने ओसबीटा फार्मासूटिक्लस के नाम से फर्म बनाई है। उसके जरिए दवा का होलसेल कारोबार करने का प्लान है। इसलिए ड््रग लाइसेंस की जरूरत है। 13 अक्टूबर को सरकारी 3150 रू जमा कर लाइसेंस के लिए सरकारी खाते में जमा किए थे। कारोबार के लिए मैनावली गली में दुकान किराए से ली थी। फीस जमा करने के करीब तीन दिन बाद कलक्टे््रट में औषधी विभाग में जाकर आवेदन और ड््रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर से संपर्क किया। तब ठाकुर ने कहा कि लाइसेंस इश्यू करने से पहले दुकान देखना पडेगी। इसमें करीब 30 हजार का खर्चा आएगा। पैसा ज्यादा लगा तो ठाकुर के सहायक सेंपल अधिकारी अयूब खान से कहा कि रकम तो ज्यादा है। साहब से कहो सही पेसा बताएं। लेकिन अयूब खां भी नहीं माने बोले कि साहब की रेट फिक्स है। इससे कम नहीं लेते हैं। यह रवैया ठीक नहीं लगा तो लोकायुक्त पुलिस को वाक्या बताया। उन्होंने वॉयस रिकार्डर थमा कर आगे कार्रवाई के लिए कहा।
कैलक्यूलेटर पर लिखी रकम
महेन्द्र के मुताबिक मैनावली गली में इंस्पेक्टर अजय ठाकुर ने आकर मुलाकात की, घूस की फाइनल रकम मुंह से नहीं बताई। उनके हाथ से कैलक्यूलेटर लेकर उस पर लिख कर कहा यह फाइनल है। घूस का फाइनल रेट तय होने पर फिर लोकायुक्त ऑफिस जाकर माजरा बताया।
घूस देकर इशारा दबोचा
लोकायुक्त इंस्पेक्टर कवीन्द्र सिंह ने बताया दवा कारोबार के लाइसेंस के एवज में घूसखोरी की डिमांड का मामला और उससे जुडी ड््रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर से बात वायस रिकार्डर में दर्ज हो चुकी थी। इसलिए इंस्पेक्टर अजय ठाकुर और अयूब खान पर धारा 7 भ्रष्ट््राचार अधिनियम 1988 के तहत केस दर्ज किया। गुरूवार को रिश्वतखोरों ने घूस का पैसा लेने के लिए दिन मुकर्रर किया था तो महेन्द्र को पांच पांच सौ के 50 नोट कैमीकल लगाकर महेन्द्र को थमाए। टीम उनके साथ कलेक्ट््रेट पहुंची। इंस्पेक्टर अजय ठाकुर उस वक्त ऑफिस में नहीं थे। महेन्द्र ने उन्हें फोन किया तो ठाकुर ने कहा पैसा सहायक अयूब को दे दो उससे बात हो गई है। उनके कहने पर महेन्द्र ने घूस की रकम अयूब को थमाई और बाहर निकल कर टीम को इशारा कर दिया। इस दौरान अयूब रिश्वत की रकम को इंस्पेक्टर अजय ठाकुर के चैंबर में रखी टेबिल की दराज में रख चुका था। उसे रंगे हाथ पकड कर हाथ धुलवाए तो उनमें रंग उतर आया। इसके अलावा उसकी निशानदेही पर अजय ठाकुर की टेबिल से घूस की रकम बरामद की। अयूब को वहीं हिरासत में लिया। आरोपी इंस्पेक्टर अजय की तलाश है।

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